11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें CJI पद की शपथ दिलाई।
जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 6 महीने चलेगा और उनका कार्यकाल 13 मई 2025 को खत्म होगा।
CJI पद के लिए संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने की थी। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को इस पद से रिटायर हुए थे।
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को नई दिल्ली में हुआ था। उन्होंने 1977 में दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से स्कूल की पढ़ाई पूरी की।
स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद संजीव खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की डिग्री हासिल की।
संजीव खन्ना को वकालत में करियर बनाने की प्रेरणा परिवार से मिली। पिता देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट में जज थे। उनकी मां सरोज खन्ना लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली में हिंदी लेक्चरर थीं।
संजीव खन्ना के चाचा, जस्टिस हंस राज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट जज थे। उन्होंने इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और सीनियर होने के बावजूद चीफ जस्टिस नहीं बनाए गए।
जस्टिस संजीव खन्ना विवाहित हैं और उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। हालांकि उनके परिवार के बारे में ज्यादा जानकारी सोशल मीडिया पर उपलब्ध नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने न्यायिक क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाई है।
वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे हैं, जहां उन्होंने विधिक सेवा में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
संजीव खन्ना का जीवन और उनकी उपलब्धियां उन सभी के लिए प्रेरणा हैं, जो न्याय और वकालत के क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं।