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एंट्रेंस एग्जाम और कॉम्पिटिटिव एग्जाम में क्या फर्क होता है?

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एंट्रेंस vs कॉम्पिटिटिव एग्जाम

भारत में पढ़ाई और नौकरी दोनों के लिए अलग-अलग एग्जाम होते हैं। एंट्रेंस एग्जाम कॉलेज एडमिशन के लिए जरूरी होते हैं, वहीं कॉम्पिटिटिव एग्जाम सरकारी या प्राइवेट जॉब पाने के लिए।

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एंट्रेंस एग्जाम: पढ़ाई का अगला स्टेप

आप स्कूल के बाद हायर एजुकेशन की ओर बढ़ रहे हैं, तो आपको एंट्रेंस एग्जाम देना होगा। जैसे इंजीनियरिंग के लिए JEE, मेडिकल के लिए NEET. ये एग्जाम कॉलेज एडमिशन दिलाने के लिए होते हैं।

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कॉम्पिटिटिव एग्जाम: नौकरी पाने का जरिया

कॉम्पिटिटिव एग्जाम उन्हें कहते हैं जिनसे सरकारी या बैंकिंग जैसी नौकरियों में भर्ती होती है। UPSC, SSC, रेलवे, बैंकिंग, ये सब एग्जाम उस कैटेगरी में आते हैं। 

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दोनों के सिलेबस में भी बड़ा फर्क होता है

एंट्रेंस एग्जाम का सिलेबस क्लास 11-12 की किताबों पर बेस्ड होता है, जैसे फिजिक्स, बायोलॉजी, मैथ्स। वहीं कॉम्पिटिटिव एग्जाम में करंट अफेयर्स, रीजनिंग, मैथ्स जैसे विषय पूछे जाते हैं।

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किसमें है ज्यादा कॉम्पिटिशन?

एंट्रेंस एग्जाम में लाखों बच्चे बैठते हैं, लेकिन सीटें कुछ हजार होती हैं। वहीं कॉम्पिटिटिव एग्जाम में तो कई बार सिर्फ सैकड़ों पोस्ट के लिए लाखों उम्मीदवार अप्लाई करते हैं। 

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रिजल्ट क्या तय करता है?

एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट यह तय करता है कि आपको कौन सा कॉलेज मिलेगा। जबकि कॉम्पिटिटिव एग्जाम में आपका सेलेक्शन सीधा नौकरी में होता है। 

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कौन सा एग्जाम किसके लिए है जरूरी?

अगर आप अभी स्टूडेंट हैं और कॉलेज में एडमिशन चाहते हैं, तो एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करें। लेकिन ग्रेजुएट हैं और सरकारी नौकरी चाहते हैं, तो कॉम्पिटिटिव एग्जाम बेहतर ऑप्शन है।

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लक्ष्य साफ हो तो रास्ता आसान होता है

एंट्रेंस और कॉम्पिटिटिव एग्जाम, दोनों की तैयारी में मेहनत और लगन की जरूरत होती है। फर्क बस इतना है कि एक पढ़ाई के लिए है और दूसरा करियर के लिए।

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