भारत जल्द ही अपनी पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन लॉन्च करने जा रहा है, जिससे रेलवे और परिवहन क्षेत्र में नई क्रांति आएगी।
इस तकनीक के साथ, भारत दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा जो हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन करेगा। इससे पहले जर्मनी, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन इस तकनीक को अपना चुके हैं।
यह ट्रेन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के कॉम्बिनेशन से ऊर्जा उत्पन्न करेगी, जिससे केवल जल वाष्प निकलेगा। पारंपरिक डीजल ट्रेनों के विपरीत, यह किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाएगी।
भारत की यह पहली हाइड्रोजन ट्रेन 31 मार्च से जिंद-सोनीपत रूट पर चलाई जाएगी। यह रेलवे के हरित ऊर्जा मिशन (Green Energy Mission) की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
हाइड्रोजन ट्रेन में 1,200 हॉर्सपावर का इंजन होगा, जिससे यह दुनिया की सबसे ताकतवर हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक बनेगी। अधिकतम 110 किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ सकेगी।
हाइड्रोजन ट्रेन एक साथ 2,638 यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगी।
पायलट प्रोजेक्ट के लिए ₹111.83 करोड़ का बजट तय किया गया है। भविष्य में 35 और हाइड्रोजन ट्रेनों को शामिल करने की योजना है, जिनमें से प्रत्येक की लागत ₹80 करोड़ होगी।
हाइड्रोजन ट्रेन संचालन के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर ₹70 करोड़ का निवेश किया जाएगा।
हाइड्रोजन ट्रेन से डीजल ट्रेनों की तुलना में काफी कम प्रदूषण होगा। ऊर्जा की बचत होगी और ईंधन पर खर्च घटेगा। पर्यावरण के साथ-साथ यह आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित होगी।
हाइड्रोजन ट्रेन पहल पीएम मोदी के ग्रीन एनर्जी विजन का हिस्सा है और आने वाले वर्षों में भारतीय रेलवे को पूरी तरह से हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक ट्रेनों की ओर ले जाने का लक्ष्य है।