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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से पहले ये 4 भारतीय भी जा चुके हैं स्पेस

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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय मूल के पांचवें एस्ट्रोनॉट

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारत-अमेरिका सहयोगी अंतरिक्ष मिशन में शामिल होने के साथ ही अंतरिक्ष में जाने वाले पांचवें भारतीय मूल के एस्ट्रोनॉट बन जाएंगे।

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शुभांशु शुक्ला से पहले चार अन्य भारतीय जा चुके हैं स्पेस

स्पेस मिशन के लिए चुने गये NDA के पूर्व छात्र शुभांशु शुक्ला की ट्रेनिंग इसी हफ्ते शुरू हो जायेगी। शुभांशु शुक्ला से पहले चार अन्य भारतीय मूल के लोग अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं।

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सुनीता विलियम्स

जिसमें से एक सुनीता विलियम्स भी हैं। कुल 7 बार किसी महिला अंतरिक्ष यात्री द्वारा सबसे अधिक स्पेसवॉक और साथ ही सबसे लंबी स्पेसवॉक का करने का रिकॉर्ड सुनीता विलियम्स के नाम है।

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अबतक तीन स्पेस मिशन में शामिल हो चुकी हैं सुनीता विलियम्स

सुनीता विलियम्स तीन स्पेस मिशन - 2006, 2012 और 2024 में शामिल हो चुकी हैं। यह किसी भी भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री द्वारा सबसे अधिक अंतरिक्ष उड़ानों का रिकॉर्ड है।

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राकेश शर्मा

उस समय भारतीय वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर थे, 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले भारत के पहले व्यक्ति थे। रूस-भारत अंतरिक्ष एजेंसियों के संयुक्त मिशन सोयुज-टी11 का हिस्सा बने।

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जब इंदिरा गांधी ने पूछा अंतरिक्ष से कैसा दिखता है भारत

शर्मा ने अंतरिक्ष में 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। उन्होंने उत्तर दिया, "सारे जहां से अच्छा"

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कल्पना चावला

अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला कल्पना चावला दो बार अंतरिक्ष में गईं, लेकिन दूसरे मिशन के दौरान ही उनकी दुखद मृत्यु हो गई।

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अंतरिक्ष शटल कोलंबिया पर पहली उड़ान

कल्पना चावला ने 1997 में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया पर अपनी पहली उड़ान भरी। 2003 में कोलंबिया में दूसरी उड़ान में सात अन्य चालक दल के सदस्यों के साथ उनकी मृत्यु हो गई।

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राजा चारी

2017 में, राजा चारी, जो संयुक्त राज्य वायु सेना में ब्रिगेडियर जनरल थे, ने पहली बार नासा में अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए ट्रेनिंग शुरू किया था।

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आर्टेमिस टीम का हिस्सा

2020 तक वह आर्टेमिस टीम का हिस्सा थे। जिसका लक्ष्य 2024 में चंद्र सतह पर चलने के लिए पहली महिला और अगले पुरुष को भेजने सहित अगले चंद्र मिशन के लिए रास्ता बनाने में मदद करना था।

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