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गांव में कपड़ा बेचने वाले का बेटा बना IAS, बिना कोचिंग क्रैक किया UPSC

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असफलता से हार नहीं मानी

आईएएस अनिल बसाक आर्थिक रूप से कमजोर फैमली बैकग्राउंड से होने के बावजूद अपने दृढ़ समर्पण और दृढ़ता से ऊंचाइयों तक पहुंचे। असफलता भी मिली लेकिन हार नहीं मानी।

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कपड़ा विक्रेता का बेटा

बिहार के किशनगंज से ताल्लुक रखने वाले अनिल बसाक के पिता बिनोद बसाक एक कपड़ा विक्रेता थे, जो अपनी साइकिल पर गांव-गांव जाकर कपड़े बेचते थे।

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आईआईटी दिल्ली में एडमिशन

परिवार में भारी वित्तीय परेशानी के बावजूद, बसाक ने 2014 में आईआईटी दिल्ली में एडमिशन प्राप्त किया। वह कहते हैं यह जीवन का कठिन समय था जिसने मेरी परीक्षा ली और मुझे ताकत भी दी।

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पहले प्रयास में मिली असफलता

बीटेक के बाद उन्होंने आईएएस बनने के बचपन के सपने को पूरा करने के लिए यूपीएससी की तैयारी शुरू की, लेकिन 2018 में पहले प्रयास में UPSC  प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर सके।

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मन में भरा अहंकार

बसाक ने पहले प्रयास के दौरान बहुत मेहनत की, लेकिन उसे पास नहीं कर सके। वह कहते हैं मुझे अहंकार था कि अगर मैं आईआईटी-जेईई पास कर सकता हूं, तो मैं यूपीएससी भी पास कर सकता हूं।

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दूसरे प्रयास में आईआरएस में जगह बनाई

असफलता के बाद उन्होंने आत्मनिरीक्षण किया और अपनी रणनीति में बदलाव किया और दूसरे प्रयास में उन्होंने 616वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की और आईआरएस में जगह बनाई।

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तीसरे प्रयास में बने IAS

बसाक ने आईएएस बनने की ठान ली थी इसलिए 2020 में अपने तीसरे प्रयास में, उन्होंने सामान्य श्रेणी में 45वीं रैंक के साथ फिर से यूपीएससी में सफलता हासिल की।

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प्राथमिक विद्यालय शिक्षक से मिला मार्गदर्शन

अपनी शानदार सफलता के लिए बसाक ने अपने प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक जय शंकर को श्रेय दिया, जिनके मार्गदर्शन और समर्थन ने आईएएस अधिकारी बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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