भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है! सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से 100वीं GSLV रॉकेट लॉन्च सफलतापूर्वक की गई।
इस खास मौके पर ISRO के नए चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने कहा, आज का दिन ऐतिहासिक है! न सिर्फ हमारा मिशन सफल रहा, बल्कि NVS-02 सैटेलाइट को भी सफलतापूर्वक ऑर्बिट में पहुंचा दिया गया है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ISRO के नए चेयरमैन V. नारायणन कौन हैं और उनका सफर कैसा रहा? जानिए ISRO के नए चेयरमैन V. नारायणन का एजुकेशन क्वालिफिकेशन।
डॉ. नारायणन का जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के मेलाकट्टू गांव में हुआ। उन्होंने मेकैनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (DME) में टॉप किया।
फिर उन्होंने ने IIT खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में M.Tech (1989) किया। 2001 में IIT खड़गपुर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में Ph.D. पूरी की। वे AMIE के एसोसिएट मेंबर भी हैं।
वी. नारायणन ने 1984 में ISRO जॉइन किया और विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) में साउंडिंग रॉकेट्स, ASLV और PSLV प्रोजेक्ट्स में योगदान दिया।
1989 में M.Tech के बाद वी. नारायणन ने क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम्स पर काम किया और भारत को स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करने में मदद की।
उनके नेतृत्व में भारत अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर बना और GSLV-Mk III जैसे मिशन सफल हुए।
2023 में ISRO के पूर्व चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि IIT से पढ़े छात्र ISRO में जॉब ऑफर ठुकरा देते हैं, क्योंकि उन्हें वेतन कम लगता है।
एक ओर जहां IIT से पढ़े छात्र कम वेतन के कारण ISRO में जॉब ऑफर ठुकरा देते हैं, वहीं डॉ. वी. नारायणन जैसे वैज्ञानिकों ने साबित किया कि सच्चा जुनून पैसों से बड़ा होता है।
ISRO की ऐतिहासिक 100वीं लॉन्च भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में और ऊंचाइयों तक पहुंचाने की दिशा में एक और कदम है।