भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। हाल ही में चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 मिशनों की सफलता के बाद, इसरो (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम कर ली।
29 जनवरी 2025 को इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F15 रॉकेट की मदद से NVS-02 सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया।
NVS-02 सैटेलाइट के लॉन्च के साथ ही इसरो ने अपने अंतरिक्ष केंद्र से 100वां प्रक्षेपण पूरा कर लिया, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
NVS-02 सैटेलाइट भारत की NavIC (Navigation with Indian Constellation) प्रणाली का हिस्सा है, जो देश को स्वदेशी और अधिक सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगा।
नेविगेशन सिस्टम को अपग्रेड करेगा – NVS-02 सैटेलाइट भारत की स्वदेशी NavIC प्रणाली का नया संस्करण है, जिससे देश की जीपीएस जैसी सेवाएं और तेज और सटीक होंगी।
भारतीय सेना और नौसेना को बेहतर नेविगेशन और संचार सुविधाएं मिलेंगी, जिससे रक्षा क्षेत्र और मजबूत होगा।
बाढ़, चक्रवात और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों को तेज और प्रभावी बनाएगा।
रेलवे, सड़क परिवहन, हवाई और समुद्री यातायात को बेहतर ट्रैकिंग और मार्गदर्शन उपलब्ध कराएगा।
यह पूरी तरह से भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है, जिससे भारत की अंतरिक्ष तकनीक को और मजबूती मिलेगी।
NVS-02 सैटेलाइट को GSLV-F15 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया। यह GSLV की 17वीं उड़ान थी। इसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया है।
NVS-02 के जरिए भारत अपनी नेविगेशन और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनेगा। अब विदेशी GPS सिस्टम पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और कई सेक्टर्स को अत्याधुनिक तकनीक का लाभ मिलेगा।