इसरो ने आज एसएसएलवी डेवलपमेंट उड़ान के साथ ईओएस-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक आर्बिट में स्थापित किया और उद्देश्य के अनुसार डेमोसैट को भी तैनात किया।
इसरो ने शुक्रवार, 16 अगस्त को SSLV-D3 की तीसरी डेवपलपमेंट उड़ान लॉन्च की। यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9:17 बजे किया गया।
इस मिशन के दौरान इसरो ने EOS-08 नामक एक पृथ्वी ऑबजर्वेशन सैटेलाइट को कक्षा में सफलता पूर्वक स्थापित किया। इसका उद्देश्य पृथ्वी की निगरानी और विभिन्न डेटा एकत्र करना है।
इस सफल प्रक्षेपण के साथ इसरो ने अपने छोटे-लिफ्ट लॉन्च वाहन (SSLV) डेवलपमेंट को पूरा किया। यह वाहन 500 किलो तक वजन वाले सैटेलाइट को निचली पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित कर सकता है।
1 इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड: जो उपग्रह-आधारित निगरानी, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण मॉनिटरिंग में सहायक होगा।
जो समुद्र की सतह की हवा, मिट्टी की नमी और बाढ़ का पता लगाने में मदद करेगा।
यह पेलोड UV विकिरण की निगरानी करेगा, खासकर भविष्य के मानव मिशन गगनयान के लिए।
SSLV की पहली उड़ान 7 अगस्त 2022 को हुई, लेकिन वह अपने सैटेलाइट्स को सही ऑर्बिट में स्थापित नहीं कर पाई। दूसरी डेवलपमेंट उड़ान 10 फरवरी 2023 को सफल रही, जिसने SSLV को सफल बना दिया।
इस मिशन के साथ इसरो ने 2024 में तीसरी बार सफलता हासिल की, इससे पहले इस साल PSLV-C58/XpoSat और GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन सफल हुए हैं।