वालचंद हीराचंद दोषी ने 1945 में मुंबई के पास प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स की स्थापना की, जिससे भारत की पहली कार फैक्ट्री की नींव पड़ी। उनकी फैक्ट्री से पहली कार 1949 में निकली थी।
1882 में महाराष्ट्र के सोलापुर में जन्मे वालचंद का भारतीय उद्योग में बड़ा योगदान रहा। वे एक प्रतिभाशाली भारतीय उद्योगपति थे, जिन्होंने वालचंद ग्रुप की स्थापना की थी।
उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की और ग्रेजुएशन के बाद अपने फैमिली कपास और साहूकारी के बिजनेस में शामिल हुए, लेकिन उन्हें इस बिजनेस में मन नहीं लगा।
जब फैमिली बिजनेस में वालचंद का मन नहीं लगा तो उसे छोड़ रेलवे ठेकेदार के रूप में काम शुरू किया और बाद में सरकार के कई विभागों में ठेकेदार बने।
वालचंद ने भारत में पहला आधुनिक शिपयार्ड और पहला विमान कारखाना भी स्थापित किया, जिससे भारत के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
ब्रिटिश सरकार उनकी सबसे बड़ी ग्राहक थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन किया।
वालचंद हीराचंद दोषी को आज भी भारतीय उद्योग के जनक के रूप में याद किया जाता है। अप्रैल 1953 में गुजरात में उनका निधन हुआ। उनकी देखभाल अंतिम वर्षों में उनकी पत्नी कस्तूरबाई ने की थी।