जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को किथाना गांव, झुंझुनू, राजस्थान में हुआ। एक छोटे से गांव से उपराष्ट्रपति तक का उनका सफर आसान नहीं था। इस सफलता के पीछे मेहनत और अटूट समर्पण है।
जगदीप धनखड़ ने कक्षा 1 से 5वीं तक की पढ़ाई किथाना के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से की। फिर आगे की पढ़ाई हर दिन 4 से 5 किलोमीटर पैदल चल कर सरकारी माध्यमिक विद्यालय, घाढ़ाना से की।
फिर 1962 में स्कॉलरशिप के माध्यम से उनका एडमिशन सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में हुआ। यहां 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके कॉलेज का सफर शुरू हुआ।
जगदीप धनखड़ ने महाराजा कॉलेज, जयपुर से बीएससी (ऑनर्स) फिजिक्स में पूरी की। आगे राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी (1978-79) की डिग्री हासिल की।
करियर राजस्थान बार काउंसिल एडवोकेट के रूप में शुरु की। 1990 में हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट फिर सुप्रीम कोर्ट में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक, खनन मामलों में विशेषज्ञ के रूप में उभरे।
जगदीप धनखड़ 1989 में झुंझुनू से 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1990 में केंद्रीय मंत्री और संसदीय समिति के अध्यक्ष बने। फिर 1993-1998 तक राजस्थान विधानसभा में किशनगढ़ से विधायक रहे।
जगदीप धनखड़ 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला।
जगदीप धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ भी काफी पढ़ी लिखी हैं। उनके पास अर्थशास्त्र में पीजी की डिग्री है। उनकी रुचि सामाजिक कार्यों और जैविक खेती में है।
जगदीप धनखड़ बेटी कामना धनखड़ ने अमेरिका और इटली से पढ़ाई की है। उनकी रुचि फोटोग्राफी में है। कामना धनखड़ के पति कार्तिकेय वाजपेयी, सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं।
जगदीप धनखड़ का ओबीसी और जाट समुदाय के लिए आरक्षण दिलाने में योगदान रहा है। साथ ही वह राजस्थान ओलंपिक एसोसिएशन और टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं।
जगदीप धनखड़ ने अमेरिका, इटली, स्विट्जरलैंड सहित कई देशों की यात्राएं की हैं। उन्हें परिवार के साथ यात्रा करना और पुस्तकें पढ़ने का शौक हैं।
पद से हटाने के लिए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव विवाद के बीच, जगदीप धनखड़ का जीवन संघर्ष, समर्पण की मिसाल है। उनकी यात्रा गांव की पगडंडियों से संसद के उच्चतम पद तक प्रेरणा देती है।