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6 हजार से अरबों तक,जानिए देश के पहले Crypto Billionaire जयंती कनानी को

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मामूली आय वाले परिवार में जन्म

जयंती कनानी एक मामूली आय वाले परिवार में जन्मे। उनके पिता एक हीरे के कारखाने में काम करते थे। कनानी को शुरू से ही शिक्षा के मूल्य के बारे में बताया गया। उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की।

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धर्मसिंह देसाई विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग

आर्थिक परेशानियों के बीच पले-बढ़े जयंती कनानी ने स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद नडियाद में धर्मसिंह देसाई विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया।

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पुणे में 6 हजार की जॉब

उन्होंने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ करियर की खोज शुरू की। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद काम की तलाश शुरू हुई। पुणे में 6 हजार की जॉब मिली।

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कई पार्ट-टाइम प्रोजेक्‍ट किये

उम्र के साथ पिता की नजरें कमजोर हुईं तो काम छोड़ना पड़ा। अब जयंती कनानी को ज्‍यादा पगार वाली नौकरी की तलाश करनी पड़ी। वह एक स्टार्टअप से जुड़े। कई पार्ट-टाइम प्रोजेक्‍ट किए। 

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ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की खोज

भविष्य बनाने की जद्दोजहद उन्हें ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की खोज की ओर ले गई। जयंती कनानी का यही आकर्षण पॉलीगॉन के जन्म का कारण बना। जो एथेरियम की स्केलेबिलिटी चैलेंजेज का समाधान था।

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ब्लॉकचेन में क्रांति लाना

2017 में कनानी ने संदीप नेलवाल और अनुराग अर्जुन के साथ पॉलीगॉन (शुरुआत में मैटिक) की स्थापना की। एथेरियम को परेशान करने वाली हाई फीस और स्लो लेनदेन को ठीक करना उनका उद्देश्य था।

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ऐसे मेन प्लेयर बना पॉलीगॉन

एथेरियम नेटवर्क पर रहते हुए तेज, कम लागत वाला स्केलेबिलिटी प्लेटफॉर्म बनाकर, पॉलीगॉन ब्लॉकचेन मेन प्लेयर बन गया। वैल्यू बढ़ती गई। कनानी और को-फाउंडर अरबपतियों की कैटेगरी में आ गए।

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6000 रुपये से अरबों तक का सफर

6 हजार रुपये के मामूली सैलरी कमाने से लेकर क्रिप्टो-अरबपति बनने तक का उनका सफर इस क्षेत्र में उपलब्ध आकर्षक अवसरों का उदाहरण है।

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सपनों की निरंतर खोज की कहानी

गुजरात के एक युवा से भारत के पहले क्रिप्टो-अरबपति तक जयंती कनानी की सफलता एक सफलता की कहानी से कहीं अधिक है। यह सपनों की निरंतर खोज की कहानी है।

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