उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का एक छोटा सा गांव, माधोपट्टी, देशभर में अपनी अनोखी पहचान बना चुका है। महज 4000 की आबादी वाले इस गांव को लोग ‘UPSC फैक्ट्री’ के नाम से जानते हैं।
माधोपट्टी गांव को ‘UPSC फैक्ट्री’ कहा जाता है, क्योंकि यहां से अब तक 40 से ज्यादा IAS, IPS और PCS अधिकारी निकल चुके हैं।
इस गांव की खासियत है कि बेटे ही नहीं, बेटियां और बहुएं भी UPSC में सफलता हासिल कर रही हैं। यहां युवा जैसे ही कॉलेज में प्रवेश करते हैं, उनका सपना प्रशासनिक सेवा में जाना होता है।
यहां UPSC की तैयारी की परंपरा आजादी के बाद ही शुरू हो गई थी। 1952 में इंदु प्रकाश सिंह IFS अफसर बन शुरुआत की, फिर 1955 में विनय कुमार सिंह IAS बने, बिहार के मुख्य सचिव तक पहुंचे।
यहां से ऐसे चार भाई निकले, जिसमें सभी ने UPSC पास कर प्रशासनिक सेवाओं में जगह बनाई। इस गांव के कई अधिकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) तक पहुंचे हैं।
UPSC के अलावा, इस गांव के कई युवाओं ने ISRO, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर और वर्ल्ड बैंक जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में भी जगह बनाई है।
माधोपट्टी में शिक्षा और अनुशासन को लेकर जबरदस्त माहौल है। यहां के माता-पिता बच्चों को शुरू से ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए प्रेरित करते हैं।
गांव के लोग UPSC क्रैक करने को सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि अपनी परंपरा और प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं।
इतने छोटे गांव से इतने बड़े अधिकारी निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। माधोपट्टी का नाम आज सिविल सेवा की तैयारी करने वाले हर युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।