10 मई, 2002 को इंदौर में जन्मी सुदीप्ति हजेला ने छह साल की उम्र में समर एक्टिविटी के रूप में अपनी घुड़सवारी शुरू की जो जल्द ही एक करियर में बदल गई।
सुदीप्ति ने अपनी स्कूली शिक्षा डेली कॉलेज, इंदौर से पूरी की जिसने घुड़सवारी में उनकी यात्रा को शेप दिया।
सुदीप्ति अपने वर्तमान प्रशिक्षकों से मिली, जो फ्रांसीसी ओलंपिक टीम और फ्रांसीसी राष्ट्रीय टीमों का हिस्सा हैं।
मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल की पूर्व छात्रा दिव्यकृति ने यूरोप में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और देश भर में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व किया है।
23 वर्षीय इंटरनेशनल ड्रेसेज राइडर का जन्म जयपुर, राजस्थान में हुआ। दिल्ली विवि के जीसस एंड मैरी कॉलेज में मनोविज्ञान की छात्रा दिव्यकृति ने कॉलेज प्रोग्राम के जरिए सपना पूरा किया।
वह स्कूल और विश्वविद्यालय के दौरान यूरोप में प्रशिक्षण ले रही थीं और उन्होंने वेलिंगटन-फ्लोरिडा, US से भी प्रशिक्षण लिया है, जिसे दुनिया की घुड़सवारी राजधानी माना जाता है।
विश्वविद्यालय के बाद वह एशियाई खेलों व अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की ट्रेनिंग के लिए 2020 में यूरोप चली गईं। तब से उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
23 नवंबर, 1999 को कोलकाता में जन्मे अनुश अग्रवाल पहली बार 3 साल की उम्र में घोड़े पर बैठे थे। एक वीकेंड एक्टिविटी के रूप में शुरू हुई यात्रा जल्द ही जुनून में बदल गई।
जब वह 8 वर्ष के थे, तो उनकी मां ने उन्हें घुड़सवारी सीखने के लिए एडमिशन कराया और उन्होंने बच्चों के लिए लोकल प्रोग्राम में प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर दिया।
11 साल की उम्र में अपने घुड़सवारी के सपने को पूरा करने के लिए दिल्ली जाना शुरू कर दिया। वह वर्किंग डे में स्कूल में पढ़ाई करते और वीकेंड में ट्रेनिंग लिए दिल्ली चले जाते थे।
24 जुलाई, 1998 को मुंबई में जन्मे हृदय छेदा ने अनुश अग्रवाल की तरह ही शुरुआती शुरुआत की। जब वह 6 साल के थे तब वह पहली बार घोड़े पर बैठे।
देश के विभिन्न हिस्सों में नियमित रूप से प्रशिक्षण लेते रहे। पिछले 10 वर्षों में उन्होंने यूरोप के विभिन्न हिस्सों में ट्रेनिंग ली और काम किया है।
एशियाई खेल 2023 में विजयी जीत भारतीय घुड़सवारी खेल में हुई प्रगति का प्रमाण है। यह उपलब्धि देश के लिए बेहद गर्व भरा है साथ ही भारतीय घुड़सवारों की भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरक है।