एनसीईआरटी पैनल द्वारा पुस्तकों के अगले सेट में 'INDIA' के बजाय 'Bharat' के रूप में प्रिट करने के प्रस्ताव को इसके सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है।
यह उन 25 पैनलों में से एक है जो एनसीईआरटी पुस्तकों के कंटेंट को बदलने या संशोधित करने पर काम करता है।
पैनल के सदस्यों में से एक सीआई इस्साक के अनुसार नई एनसीईआरटी किताबों में 'INDIA' के बजाय 'Bharat' लिखा होगा। यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है।
पाठ्यपुस्तकों में "हिंदू जीत" को उजागर करने की सिफारिश भी की है। समिति ने टेक्स्टबुक में 'प्राचीन इतिहास' के स्थान पर 'शास्त्रीय इतिहास' को शामिल करने की भी सिफारिश की है।
इतिहास को अब प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित नहीं किया जाएगा जैसा कि अंग्रेजों ने किया था, जिन्होंने भारत को वैज्ञानिक प्रगति और ज्ञान से अनभिज्ञ अंधकार में दिखाया था।
सभी विषयों के सिलेबस में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को शामिल करने की भी सिफारिश की है। पैनल की सिफारिश इस बहस की पृष्ठभूमि में आई है कि क्या इंडिया का नाम बदलकर भारत रखा जाएगा।
इस साल जब केंद्र ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित जी20 रात्रिभोज के निमंत्रण को "President of India" के बजाय "President of Bharat" के नाम पर भेजा, तब विवाद शुरू हुआ।
संविधान के अनुच्छेद 1(1) में हमारे देश का नाम "इंडिया, अर्थात भारत राज्यों का एक संघ होगा" परिभाषित किया गया है।
सितम्बर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, उनके नेम प्लेट पर 'Bharat' प्रदर्शित किया गया।
सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर किए गए वीडियो और तस्वीरों में पीएम मोदी द्वारा शिखर सम्मेलन में अपना उद्घाटन भाषण देते समय 'भारत' प्रदर्शित करने वाला एक प्लेकार्ड दिखाया गया।