Education

निचली जाति के कारण गई पिता की नौकरी,बेटी प्रियांशी आर्य अब JNU महासचिव

Image credits: social media

जेएनयू छात्र संघ चुनाव

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय 22 मार्च को एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना जब दो दलित छात्रों ने हाल ही में संपन्न छात्र संघ चुनावों में लगभग तीन दशकों के बाद टॉप पोस्ट हासिल किया।

Image credits: social media

प्रियांशी आर्य महासचिव चुनी गई

संयुक्त वाम मोर्चा द्वारा समर्थित धनंजय को अध्यक्ष पद पर, जबकि बिरसा अंबेडकर फुले छात्र संघ (बीएपीएसए) का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रियांशी आर्य महासचिव के रूप में चुनी गई।

Image credits: social media

प्रियांशी आर्य कौन है?

प्रियांशी आर्य उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हलद्वानी शहर की रहने वाली है। वह एक मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी तीन बेटियों में सबसे बड़ी हैं।

Image credits: social media

प्रियांशी आर्य की मां टीचर, पिता का अपना कारोबार

प्रियांशी आर्य की मां प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका हैंऔर पिता खुद का कारोबार करते हैं जिन्होंने छोटी उम्र से ही प्रियांशी में शिक्षा और सामाजिक न्याय के मूल्यों को स्थापित किया।

Image credits: social media

जातिगत भेदभाव को करीब से देखा

प्रियांशी आर्य की परवरिश उच्च शिक्षा के लिए प्रयासरत हाशिए के समुदायों के कई लोगों के संघर्षों को दर्शाती है। उन्होंने जातिगत भेदभाव के दुष्परिणामों को प्रत्यक्ष रूप से देखा।

Image credits: social media

निचली जाति के कारण पिता की गई नौकरी

उनके पिता को निचली जाति की पहचान के कारण अपनी नौकरी खोनी पड़ी। इन अनुभवों ने सामाजिक कार्यों और बहुजन समुदाय की वकालत के प्रति उनके जुनून को बढ़ाया।

Image credits: social media

अपनी शिक्षा और पहचान की खोज में अडिग

प्रियांशी आर्य की कहानी जातिगत भेदभाव की चुनौतियों से जुड़ी है जिसका सामना उन्होंने बहुत कम उम्र से किया था। बाधाओं के बावजूद, प्रियांशी अपनी शिक्षा और पहचान की खोज में अडिग रहीं।

Image credits: social media

परिवर्तन के लिए एक आवाज

जेएनयूएसयू चुनावों में प्रियांशी आर्य की जीत सिर्फ एक राजनीतिक जीत से कहीं अधिक का प्रतीक है। वह उच्च शिक्षा में हाशिए की आवाजों के लिए आशा की किरण बनकर उभरी हैं।

Image credits: social media

छोटे शहर से लेकर जेएनयू महासचिव तक

जेएनयू में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई कर रही प्रथम वर्ष की पीएचडी छात्रा प्रियांशी आर्य की एक छोटे शहर से लेकर जेएनयू के गलियारों तक की जर्नी शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण है।

Image credits: social media