डॉ. अंबेडकर की शिक्षा और बुद्धिमत्ता का प्रभाव भारतीय संविधान पर साफ दिखता है। वे भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता थे। गणतंत्र दिवस पर जानिए डॉ. अंबेडकर के एजुकेशन के बारे में।
डॉ. बीआर अंबेडकर की उच्च शिक्षा और उनके योगदान ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी। अंबेडकर को 9 भाषाओं का ज्ञान था। वे 64 विषयों में मास्टर थे। उनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं।
उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सिर्फ 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की। यहीं से "डॉक्टर ऑफ साइंस" की डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा महू (मध्य प्रदेश) में की। उनके पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे, और इस कारण उनका परिवार अक्सर स्थान बदलता था।
डॉ. अंबेडकर ने अपनी स्नातक (बीए) की डिग्री मुंबई विश्वविद्यालय से 1912 में प्राप्त की। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय समाज के अनुसूचित जातियों से बीए की डिग्री हासिल की।
इसके बाद, डॉ. अंबेडकर ने 1915 में मुंबई विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में मास्टर डिग्री (एमए) प्राप्त की। वे इस क्षेत्र में भी अव्वल रहे।
डॉ. अंबेडकर ने उच्च शिक्षा के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क में प्रवेश लिया। 1927 में उन्होंने यहां से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री (एमए) हासिल की।
अंबेडकर ने 1927 में कोलंबिया विवि से डॉक्टरेट की डिग्री (Ph.D.) हासिल की। उनका शोध "The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution" पर था। उनके पास डॉक्टरेट की दो डिग्री थी।
इसके बाद, डॉ. अंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से भी शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीति और कानून की डिग्रियां हासिल की।
डॉ. अंबेडकर ने 1926 में इंग्लैंड में 'बार एट लॉ' की डिग्री भी प्राप्त की। जिससे वे कानून की प्रैक्टिस करने के योग्य बने।