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छात्रों के बढ़िया मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल कर सकते हैं ये काम

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चुनौतियों से भरी है दुनिया

आधुनिक दुनिया चुनौतियों से भरी है। ऐसे में स्कूलों को छात्रों को न केवल एकेडमिक स्किल बल्कि चैलेंजेज से निपटने के लिए मानसिक शक्ति भी प्रदान करने में एक अभिन्न भूमिका निभानी चाहिए।

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ओपन कम्युनिकेशन को बढ़ावा देना

अच्छा मानसिक स्वास्थ स्वयं को अभिव्यक्त करने की क्षमता में निहित है। स्कूलों को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां छात्र बिना किसी झिझक के अपने विचारों और भावनाओं पर चर्चा कर सकें।

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माइंडफुलनेस प्रैक्टिस

ध्यान और गहरी सांस लेने के व्यायाम जैसी तकनीकें छात्रों को तनाव को मैनेज करने, ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हैं।

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फिजिकल एक्टिविटी को प्रोत्साहित करें

एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग हो सकता है। स्कूलों को शारीरिक शिक्षा और पाठ्येतर गतिविधियों को प्राथमिकता देनी चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि छात्र एक्टिव रहें।

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काउंसलिंग फैसिलिटी

स्कूलों को ट्रेंड काउंसलर को नियुक्त करना चाहिए जो भावनात्मक चुनौतियों का सामना करने वाले छात्रों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर सकें।

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सकारात्मक माहौल

साथियों के साथ बातचीत का दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ता है। छात्रों के बीच सकारात्मक  वातावरण को बढ़ावा देना उन्हें सार्थक संबंध बनाने और जरूरत पड़ने पर मदद लेने में सक्षम बनाता है।

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शिक्षकों और कर्मचारियों को संवेदनशील बनाना

छात्रों में मानसिक परेशानी के लक्षणों को पहचानने के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग लेना चाहिए। फिर वे जरूरत पड़ने पर छात्रों को उचित मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। 

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शैक्षणिक दबाव को कम करना

अत्यधिक शैक्षणिक दबाव को कम करने और विकास की मानसिकता को बढ़ावा देने से तनाव कम हो सकता है। इससे छात्र आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

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स्कूल में छात्र सुरक्षित महसूस करें

स्कूलों के भीतर छात्र सुरक्षित महसूस कर सकें ऐसा माहौल बनाना चाहिए। ऐसे स्थान भी हों जो शांत, आरामदायक हों। ये रिट्रीट छात्रों को कठिन दिनों के दौरान राहत के क्षण प्रदान करते हैं।

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लाइफ स्किल एजुकेशन

लाइफ स्किल एजुकेशन में प्रॉब्लम सॉल्विंग, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और मुकाबला करने की रणनीतियां शामिल हैं। छात्रों को इन कौशलों से लैस करना उनके मानसिक स्वास्थ के लिए अमूल्य है। 

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उपलब्धियों को सेलिब्रेट करना

उपलब्धियों को पहचानना उसे सेलिब्रेट करना वह एकेडमिक हो या पर्सनल यह आत्मसम्मान को बढ़ाता है। स्कूलों को इसे अपनाना चाहिए यह छात्रों में गर्व और प्रेरणा की भावना को बढ़ावा देता है।

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