सिंधु गणपति दक्षिणी रेलवे की पहली ट्रांसवुमन ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर (टीटीई) बन गई हैं। हालांकि इस युवा महिला के लिए यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं था।
सिंधु गणपति का जन्म तमिलनाडु के एक साधारण शहर नागरकोइल में हुआ। सिंधु ने 2003 में केरल के त्रिवेन्द्रम डिवीजन के अंतर्गत एर्नाकुलम में रेलवे के साथ अपना करियर शुरू किया।
उन्हें समय- समय पर सामाजिक अपेक्षाओं और अपनी जेंडर आइडेंटिटी की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सिंधु को 2009 में मदुरै डिवीजन के तहत डिंडीगुल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
एक समय ऐसा भी आया जब रेलवे कम्युनिटी से सपोर्ट पाने के बावजूद, बाहरी दबावों के कारण वह 2010 में अपनी नौकरी से छुट्टी लेने के लिए मजबूर हुईं।
कभी हार न मानने के फैसले के साथ सिंधु ने रेलवे में वापस आने का फैसला किया। अपने जेंडर चेंज के संबंध में रेलवे अधिकारियों की हिचकिचाहट के बावजूद वापस लौटी।
सिंधु की बहाली दक्षिणी रेलवे मजदूर संघ (एसआरएमयू) नेताओं के हस्तक्षेप और समर्थन के माध्यम से संभव हो सकी।
रेलवे प्रशासन ने उसकी जेंडर पहचान को मान्यता दी और सिंधु को सर्विस जारी रखने की अनुमति दी गई। अब दक्षिणी रेलवे ने पावरफुल मैसेजे देते हुए TTE के रूप में उनकी नियुक्ति की पुष्टि की।
मीडिया को संबोधित करते हुए सिंधु ने आत्मविश्वास से बताया कि यह निर्णय न केवल उनके लिए बल्कि उनके पूरे समुदाय के लिए एक मील का पत्थर है।