स्नेहा राकेश ऐसे माहौल में जन्मी जहां वित्तीय स्थिरता एक दूर का सपना थी, स्नेहा राकेश का प्रारंभिक जीवन चुनौतियों से भरा था।
वित्तीय बाधाओं के बावजूद, टेक्नोलॉजी के प्रति स्नेहा राकेश के जुनून ने उन्हें कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा पूरा करने के लिए प्रेरित किया और उनके भविष्य के लिए मंच तैयार किया।
स्नेहा राकेश के प्रोफेशनल जर्नी की शुरुआत बैंगलोर से हुई, जिसमें बहुत ही कम सैलरी करीब 3 हजार और बहुत सारी चुनौतियां शामिल थीं, जिन्होंने उनके संकल्प की परीक्षा ली।
एक कर्मचारी से एक उद्यमी तक स्नेहा की जर्नी आत्म-सुधार की निरंतर खोज का प्रमाण है। उन्होंने अपने अंग्रेजी स्किल को बढ़ाते हुए अपने फ्रीलांस प्रोजेक्ट का मैनेजमेंट भी किया।
इसी बीच स्नेहा राकेश का बी-टेक की डिग्री हासिल करना, शिक्षा और काम के बीच संतुलन बनाने में उनकी निपुणता को दर्शाता है।
2012 में व्यक्तिगत बचत और ऋण के मिश्रण से शुरू किया गया उनका उद्यम, बाद में अकारमैक्स टेक प्राइवेट लिमिटेड बन गया।
आज अकार्मैक्स टेक बैंगलोर, दुबई, लंदन और सिंगापुर जैसे प्रमुख शहरों में है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डिजिटल चेंजेज सहित कंपनी सर्विसेज का विशाल चेन स्नेहा के स्किल को दिखाता है।
वित्तीय बाधाओं से गुजरने से लेकर 250 करोड़ रुपये की कंपनी स्थापित करने तक का स्नेहा राकेश सफर साहस, कौशल और सच्ची लगन का प्रमाण है। वे परोपकारी कार्यों में भी शामिल हैं।
स्नेहा राकेश की कहानी उनकी एंटरप्रेन्योरशिप की सफलता से कहीं अधिक है। यूरोपीय संसद जैसे मंचों पर उनकी मान्यता टेक इंडस्ट्रीज में उनके महत्वपूर्ण योगदान को दिखाती है।