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सुधा मूर्ति छोटे शहर की वह लड़की,जिसने महिलाओं के लिए तय सीमाएं पार की

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लैंगिक भेदभाव का सामना किया

पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित सुधा मूर्ति दुनिया भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। लेकिन आज वह जहां हैं वहां ​​पहुंचने के लिए उन्हें कड़े संघर्ष, लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ा।

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टेल्को की एंपलॉयमेंट पॉलिसी बदली

एक इंजीनियर के रूप में सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को एक पत्र लिखा था जिसने टेल्को की एंपलॉयमेंट पॉलिसी को बदल दिया। 

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इतिहास रचने वाली महिला

तब उन्हें नहीं पता था कि वह इतिहास रचेंगी और लाखों भारतीयों के लिए एक आइकन बन जाएंगी। 

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इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष

एक पुरस्कार विजेता लेखिका, इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष और एक सामाजिक कार्यकर्ता सुधा मूर्ति के नाम से भारत में लगभग हर कोई परिचित है।

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ग्रेजुएट होने के बाद नौकरी की तलाश

लगभग आधी सदी पहले जब मूर्ति कॉलेज से स्नातक होकर निकली थी, तब उन्होंने नौकरियों की तलाश शुरू कर दी थी।

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टाटा ग्रुप में नौकरी के लिए एड

उपयुक्त नौकरियों की तलाश में उसे टाटा ग्रुप में नौकरी के लिए एक विज्ञापन मिला, जिसमें लिखा था - 'महिला उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।'

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जेआरडी टाटा को लिखा लेटर

इससे वह नाराज हो गईं और उन्होंने इसे सीधे जेआरडी टाटा को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा, जो टाटा ग्रुप के प्रमुख थे।

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लेटर में लिखी ये बात

उन्होंने लिखा- महान टाटा हमेशा अग्रणी रहे हैं। जिन्होंने भारत में लोहा और इस्पात, रसायन, कपड़ा और लोकोमोटिव जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री शुरू किए।

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आगे लिखा...

उन्होंने 1900 से भारत में हायर एजुकेशन की देखभाल की है और वे इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस की स्थापना के लिए जिम्मेदार थे। सौभाग्य से, मैं वहां पढ़ती हूं। लेकिन

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जॉब के लिए इंटरव्यू

मुझे आश्चर्य है कि टेल्को जैसी कंपनी जेंडर भेदभाव कैसे कर रही है। 10 दिन बाद उन्हें एक टेलीग्राम मिला जिसमें कंपनी की पुणे फैसलिटी में जॉब के लिए इंटरव्यू देने के लिए कहा गया।

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महिलाओं के लिए तय सीमाओं को तोड़ा

पुणे की इस जर्नी और साक्षात्कार ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और वह टेल्को में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर बन गईं। मूर्ति ने बार-बार महिलाओं के लिए तय सीमाओं को तोड़ा।

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कड़ी मेहनत और खुद पर विश्वास

सबसे ज्यादा बिकने वाली लेखिका, इन्फोसिस की चेयरपर्सन से लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने तक, वह कहती हैं-मैंने हमेशा कड़ी मेहनत करने और खुद पर विश्वास रखने में विश्वास किया है।

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