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लालकृष्ण आडवाणी, सिंधी परिवार में जन्म से लेकर भारत रत्न तक, जानें

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की घोषणा

प्रमुख भाजपा नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इसकी घोषणा की।

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कौन हैं 'भारत रत्न' लाल कृष्ण आडवाणी?

लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर, 1927 को अविभाजित भारत के कराची में एक सिंधी परिवार में हुआ था।

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सेंट पैट्रिक स्कूल से पढ़ाई

सेंट पैट्रिक स्कूल, कराची में छात्र के रूप में उनके देशभक्तिपूर्ण आदर्शों ने उन्हें 1941 में चौदह वर्ष की आयु में आरएसएस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

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विभाजन के दौरान दिल्ली आये

देश के विभाजन के दौरान उन्हें दिल्ली प्रवास के लिए मजबूर होना पड़ा। फिर वे राजस्थान में आरएसएस के प्रचारक बन गये। मृदुभाषी आडवाणी राम जन्मभूमि आंदोलन का चेहरा बन गए।

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राम जन्मभूमि आंदोलन का चेहरा बने

1980 के अंत में आडवाणी राम जन्मभूमि आंदोलन का चेहरा बन गए, जिसने भगवा पार्टी के चुनावी और राजनीतिक भाग्य को आकार दिया।

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भाजपा को बनाया राष्ट्रीय राजनीतिक ताकत

उन्होंने वाजपेयी के साथ मिलकर भाजपा को खड़ा किया। 1990 के दशक में भाजपा को राष्ट्रीय राजनीतिक ताकत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और परिणाम 1989 के आम चुनाव में दिखाई दिए। 

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बीजेपी 2 सीटों से 1989 में 86 सीटों पर पहुंची

बीजेपी 1984 में 2 सीटों से वापस 1989 में 86 सीटों पर पहुंच गई। पार्टी वेबसाइट के अनुसार उन्होंने 1980 में स्थापना के बाद से सबसे लंबे समय तक बीजेपी अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

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10 बार सांसद रहे आडवाणी गृह मंत्री और उपप्रधान मंत्री

10 बार सांसद रहे आडवाणी गृह मंत्री और उपप्रधान मंत्री के रूप में भी काम किया। 2009 आम चुनावों में आडवाणी ने खुद को पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया।

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आडवाणी के कद और स्थिति पर असर

2009 के चुनावों में भाजपा को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए से करारी हार का सामना करना पड़ा और पार्टी के भीतर आडवाणी के कद और स्थिति पर असर पड़ा।

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मार्गदर्शक मंडल का सदस्य

2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के चुनाव जीतने के बाद 96 वर्षीय नेता को 'मार्गदर्शक मंडल' का सदस्य बनाया गया था।

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