तीन स्टूडेंट्स लीडर ने यूनिवर्सिटी कैंपस से आरक्षण विरोधी आंदोलन शुरू किया था, यह आंदोलन इतना बढ़ा कि देश की सत्ता पर राज कर रही शेख हसीना की सरकार को गिराने का कारण बन गया।
इतना ही नहीं अपनी सुरक्षा के लिए हसीना को देश तक छोड़ना पड़ गया। जानिए आरक्षण विरोधी आंदोलन के 3 बड़े चेहरे आसिफ महमूद, नाहिद इस्लाम और अबु बकेर मजूमदार के बारे में।
बांग्लादेश में सरकार गिराने के पीछे ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स लीडर नाहिद इस्लाम सबसे बड़ा चेहरा हैं। प्रोटेस्ट में कहा था लाठी काम नहीं आई तो हम हथियार उठाने के लिए तैयार हैं।
जून में शुरू हुए आरक्षण विरोधी आंदोलन में आसिफ महमूद ने अहम रोल निभाया था। ढाका यूनिवर्सिटी के इस छात्र के आह्वान पर ही आंदोलन देशव्यापी हो गया था।
ढाका यूनिवर्सिटी के अबू बकेर मजूमदार ने ही 5 जून को हाई कोर्ट के आरक्षण पर फैसले के बाद स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट शुरु की। सरकारी नौकरी में आरक्षण का विरोध किया।
तीनों स्टूडेंट्स लीडर नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार को आंदोलन में मुख्य भूमिका के लिए पुलिस ने अलग-अलग प्रताड़ित किया और आंदोलन वापस लेने का दवाब बनाया।
तीनों को अलग-अलग जगहों से पुलिस उठा कर ले गई। छोड़ा तो वे काफी घायल थे। अस्पतालों में इलाज चला। कुछ वीडियो के जरिए सरकार ने दावा किया कि इन्होंने मर्जी से आंदोलन खत्म कर दिया है।
जबकि तीनों छात्र नेता को उठा कर पुलिस तीनों को अलग-अलग प्रताड़ित कर रही थी और आंदोलन को वापस लेने का दवाब बना रही थी। आंदोलन वापस लेने का वीडियो भी पुलिस ने जबरन बनाया था।
जबकि ऐसा नहीं था, छात्र नेताओं ने जब सच बताया और पूरा मामला सामने आया तो प्रदर्शनकारी भड़क गए। हजारों लोग सड़कों पर उतर गए और आखिर में शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा।