जेल में बंद ईरानी कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार 2023 दिया गया है। ये ईरान के प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से एक हैं। वर्तमान में तेहरान की जेल में हैं।
ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ नरगिस मोहम्मदी की लड़ाई और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है।
1972 में ईरान के उत्तर-पश्चिम में जंजन में जन्मी नरगिस मोहम्मदी ने इंजीनियर बनने से पहले फिजिक्स की पढ़ाई की।
फिर उन्होंने पत्रकारिता में एक नया करियर शुरू किया, उन समाचार पत्रों के लिए काम किया जो उस समय सुधारवादी आंदोलन का हिस्सा थे।
फ्रंट लाइन डिफेंडर्स अधिकार संगठन के अनुसार, मोहम्मदी वर्तमान में तेहरान की एविन जेल में लगभग 12 साल की कैद की कई सजा काट रही हैं।
वह 122 साल पुराना पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला हैं और फिलीपींस की मारिया रेसा के 2021 में रूस के दिमित्री मुराटोव के साथ संयुक्त रूप से पुरस्कार जीतने के बाद पहली महिला हैं।
2000 के दशक में वह नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ईरानी वकील शिरीन एबादी द्वारा स्थापित सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स में शामिल हुईं जो मृत्युदंड उन्मूलन के लिए लड़ रही थी।
मोहम्मदी 2003 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन इबादी के नेतृत्व वाले एक गैर-सरकारी संगठन, डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की उप प्रमुख हैं।
22 साल पहले पहली बार गिरफ्तार की गई 51 वर्षीय नरगिस मोहम्मदी ने ईरान में मानवाधिकारों के लिए अपने अथक अभियान के कारण पिछले दो दशकों का अधिकांश समय जेल के अंदर और बाहर बिताया है।
वह नवंबर 2021 से जेल में बंद हैं। उन्होंने इस्लामी गणतंत्र में सबसे संवेदनशील मुद्दों पर अभियान चलाया है। मृत्युदंड, अनिवार्य हिजाब का विरोध किया।जेल में भी अभियान जारी रखा।
मोहम्मदी वर्तमान में 10 साल और नौ महीने की संयुक्त सजा काट रही है, उसे 154 कोड़े मारने की भी सजा सुनाई गई है और अकेले जेल में उसकी एक्टिविटी से जुड़े उसके खिलाफ पांच मामले हैं।
मोहम्मदी के जुड़वां बच्चे कियाना और अली हैं। बच्चों का बचपन, अपने पति रहमानी से अलग होने के दर्द को याद करती हैं। शादी के 24 वर्षों में पति के पास केवल 5-6 साल ही रहीं।
नोबेल पुरस्कार वेबसाइट के अनुसार, नरगेस मोहम्मदी को अबतक 13 बार गिरफ्तार किया गया है, पांच बार दोषी ठहराया गया और अबतक कुल 31 साल जेल और 154 कोड़े की सजा सुनाई गई।