गुलाबी गैंग की शुरुआत 2006 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में संपत पाल देवी ने की थी। आज यह गैंग महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले देश के प्रमुख ऑर्गनाइजेशन में शामिल है।
संपत पाल की शादी 12 साल में एक अधेड़ सब्जी बेचनेवाले से हुई। ससुराल में उसकी जिंदगी मुश्किलों भरी रही। गांव में एक हरिजन परिवार को पानी देने की घटना ने संपत के जीवन को बदल दिया।
घटना के खिलाफ संपत ने आवाज उठाई तो भारी कीमत चुकानी पड़ी। पंचायत ने उन्हें गांव से बाहर कर दिया। संपत ने अपना ससुराल छोड़ दिया, लेकिन कमजोर की आवाज बनने का इरादा नहीं छोड़ा।
एक दिन अपने पड़ोस की एक महिला के साथ उसके पति को मार-पीट करते हुए संपत ने देखा। उसे रोका लेकिन तब उस व्यक्ति ने इसे अपना पारिवारिक मामला कह उन्हें बीच-बचाव करने से रोक दिया।
इस घटना के बाद उस शख्स को सबक सीखाने के लिए संपत ने पांच महिलाओं को एकजुट कर उस व्यक्ति को खेतों में खूब पीटा। यही वो समय था जब गुलाबी गैंग का जन्म हुआ।
इसके बाद गुलाबी गैंग हर उस अत्याचार और अव्यवस्था की आवाज बन गई जहां महिला अधिकारों का हनन हो रहा था। फिर चाहे वह पारिवारिक हो, सामाजिक या सरकारी।
गुलाबी गैंग का अलग ही रुतबा है। पीड़ित की मदद में अफसरों की पिटाई से लेकर जुलूस तक निकाल देना इस गैंग के लिए आम है। गैंग की पहचान हाथ में लाठी और गुलाबी साड़ी है।
कुछ कारणों से अब संपत पाल गुलाबी गैंग का हिस्सा नहीं है। वह राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन गुलाबी गैंग अपने मकसद पर आज भी कायम है।
पिंक गैंग का ड्रेस कोड गुलाबी साड़ी है। इसे इस कारण से चुना गया था कि इसे राजनीतिक या इसके विपरीत, विरोध आंदोलनों से नहीं जोड़ा जा सके।
गुलाबी गैंग संगठन गरीब लड़कियों की शादी के दौरान कई तरह से मदद करती है जिसमें मेहमानों की सेवा करना, फूलों की सजावट, मेहंदी, मेकअप लगाना जैसे काम शामिल है।