'KKBKKJ' की सबसे बड़ी कमी तो यही है कि यह तमिल फिल्म 'वीरम' की हिंदी रीमेक है और पिछले कुछ समय से बॉलीवुड में रीमेक का ट्रेंड फ्लॉप हो रहा है।
फिल्म में एक साथ दो कहानियां हैं। एक सलमान और विजेंदर सिंह के झगड़े की और दूसरी वेंकटेश और जगपति बाबू की दुश्मनी की। दोनों कहानियां आपस में ओवरलेप होती हैं।
अगर रोमांस के एंगल को छोड़ दिया जाए तो फिल्म के हीरो सलमान से ज्यादा वेंकटेश लगते हैं। क्योंकि असली कहानी उनकी और जगपति बाबू की फाइट के इर्द-गिर्द घूमती है।
स्टारकास्ट बेहद कमजोर है। सलमान की एक्टिंग में दम नहीं है और पूजा हेगड़े, विजेंदर सिंह, जगपति बाबू समेत बाकी एक्टर्स भी फीके हैं। सिर्फ वेंकटेश ने बेहतर एक्टिंग की है।
फिल्म का क्लाइमैक फीका है। सलमान और वेंकटेश की कहानी का एक साथ अंत दिखाने के चक्कर में डायरेक्टर ने इसे कमजोर करने की रही-सही कसर पूरी कर दी है।
पिछले कुछ समय से सलमान खान लगातार फैमिली एंटरटेनर देने पर फोकस कर रहे हैं और हर बार फ्लॉप का सामना करना पड़ रहा है। उनका यह कॉन्सेप्ट इस बार भी फेल दिखरहा है।
फरहाद सामजी एक बार फिर कमजोर निर्देशक साबित हुए हैं। वे 'KKBKKJ' को एक लय में नहीं बांध सके। शुरू से आखिर तक समझ ही नहीं आता कि वे कहना क्या चाहते हैं।