हूरें समझते हो क्या होती हैं? कुंवारी...अनछुई हूरें..वो भी एक नहीं, दो नहीं, 72 हूरें।
ओए तू तो बड़ा धमाकेबाज निकला।
हाकिम भाई वो तो वक्त पर बम नहीं फूटा, वरना गेट में से बड़ा धमाका होता।
मौलवी साब ने हूरों के जो कपड़े बयान किए हैं, बलवा हो जाना है यहां तो।
इस पवित्र मिट्टी में दफ़न होने लायक ही नहीं ये लोग, इन ह&मजादों का कोई मकबरा बना देगा। इनकी लाशों को समंदर में फेंक दूंगा।
सुन ओए काके, धमाके में 31 काफिर मारे हैं मैंने, वह सब जाया हो जाएगा।
ये अजाम है हमारा, कुरान का अजाम।
हमने अल्लाह की रजा के लिए जान दी है, शहीद हुए हैं हम।
तुम वो खुशनसीब हो, जिसे अल्लाह ताला ने इस ईनाम के लिए चुना है।
तुमने जो नेकी का और जिहाद का रास्ता चुना है, वो रास्ता तुम लोगों को सीधा जन्नत की ओर ले जाएगा। शहादत के बाद जब जन्नत में आंखें खोलोगे टी ओ अपने आपको हूरों के आगोश में पाओगे।"