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अमरीश पुरी के 10 डायलॉग्स, जिन्हें सुनकर निकल जाती थी हीरो की हेकड़ी

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फिल्म- करन अर्जुन

1. पैसों के मामले में मैं पैदाईशी कमीना हूं, दोस्ती और दुश्मनी का क्या अपनों का खून भी पानी की तरह बहा देता हूं।

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फिल्म- दामिनी

2. ये अदालत है, कोई मंदिर या दरगाह नहीं, जहां मन्नतें और मुरादें पूरी होती हैं। यहां धूप बत्ती और नारियल नहीं बल्कि ठोस सबूत और गवाह पेश किए जाते हैं।

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फिल्म- शहंशाह

3. जब मैं किसी गोरी हसीना को देखता हूं तो मेरे दिल में सैकड़ों काले कुत्ते दौड़ने लगते हैं.. तब मैं ब्लैक डॉग व्हिस्की पीता हूं।

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फिल्म - विश्वात्मा

4. थप्पड़ तुम्हारे मुंह पर पड़ा है और निशान मेरे गाल पर पड़े हैं।

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फिल्म- मुकद्दर का बादशाह

5. नए जूतों की तरह शुरू में नए अफसर भी काटते हैं।

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फिल्म - मशाल

6. हर आदमी का कुछ न कुछ दाम होता है...दम देदो, आदमी तुम्हारा।

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फिल्म- ऐतराज

7. आदमी के पास दिमाग हो ना... तो वो अपना दर्द भी बेच सकता है।

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फिल्म- हकीकत

8. इस वर्दी केअंदर बारुद से बना हुआ जिस्म है। अगर उस जिस्म ने आग पकड़ ली, तो वो धमाका होगा कि तेरे जिस्म के चीथड़े चीटियां तक नहीं ढूंढ पाएंगी।

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फिल्म गदर एक प्रेमकथा

9. अगर हम हिंदुस्तान की जमीन पर पैर रखते तो हजारों जख्म उभर आते।

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फिल्म- दीवाना

10. रस्म निभाने के लिए आग में घी डालना ही पड़ता है लेकिन फिर उसी आग से घर भी जलाया जा सकता है।

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