दिवंगत स्टारर फ़िरोज़ खान आज अगर होते तो 85 साल के हो गए होते। 25 सितम्बर 1939 को उनका जन्म बेंगलुरु में हुआ था। उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े रोचक फैक्ट्स...
फ़िरोज़ खान का असली नाम जुल्फिकार अली शाह खान था। वे सिर्फ एक्टर ही नहीं थे, बल्कि फिल्म एडिटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी थे। उन्होंने करीब 60 फिल्मों में काम किया था।
फ़िरोज़ खान के पिता साकिब अली खान ग़ज़नी, अफगानिस्तान से थे , जबकि उनकी मां फातिमा पर्शियन थीं और ईरान से ताल्लुक रखती थीं।
1950 से 1960 के दशक के बीच फ़िरोज़ खान ने छोटे बजट की फिल्मों में छोटे-छोटे रोल निभाए। बतौर लीड रोल उनकी पहली हिट फिल्म 1965 में आई 'ऊंचे लोग' थी।
फ़िरोज़ का नियम था कि वे रविवार को कभी काम नहीं करेंगे। यही वजह थी कि उन्होंने अमिताभ बच्चन संग प्रकाश मेहरा की 'हेरा फेरी' ठुकरा दी थी। क्योंकि इसके लिए रविवार को भी काम करना था।
फ़िरोज़ कारों के नए मॉडल्स के शौक़ीन थे। वे दुनिया के किसी भी हिस्से से उसे मंगवा लेते थे। कथिततौर पर उनका बंगला देख ना केवल दूसरे स्टार्स, बल्कि गल्फ के शेखों को भी जलन होती थी।
2006 में जब फ़िरोज़ खान फिल्म 'ताजमहल' को प्रमोट करने पाकिस्तान गए थे तो वहां मीडिया ने भारत में मुस्लिमों की हालत को खराब बताया, जिस पर फ़िरोज़ खान ने करारा जवाब दिया था।
फ़िरोज़ ने कहा था कि "भारत सेकुलर देश हैं। वहां मुस्लिम तरक्की कर रहे। राष्ट्रपति मुस्लिम, पीएम सिख है। पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बना, लेकिन यहां मुस्लिम ही मुस्लिम को काट रहे हैं।"
इसी इवेंट में पत्रकार फख्र-ए-आलम ने मनीषा कोइराला पर कमेंट किया, "मैं आपसे सवाल नहीं पूछूंगा, आप कांप रही हैं?" जवाब में फ़िरोज़ ने कहा, "माफ़ी मांग, वर्ना तेरी ऐसी-तैसी कर दूंगा।"
तब पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ थे। उन्होंने फ़िरोज़ की पाकिस्तान में एंट्री बैन कर दी और भारत में पाकिस्तानी हाई कमिश्नर को निर्देश दिए कि उन्हें पाक का वीजा ना दिया जाए।
फ़िरोज़ जिंदगी के अंतिम वक्त में लंग कैंसर से जूझ रहे थे। 27 अप्रैल 2009 को उनका बेंगलुरु के फार्महाउस में निधन हो गया, जहां उनकी अंतिम इच्छा के तहत उन्हें मुंबई से ले जाया गया था।