मुनव्वर राना का 71 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया। उन्होंने लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली।
मुनव्वर राना का जन्म 26 नवंबर, 1952 को रायबरेली में हुआ था। हालांकि, मुनव्वर का बचपन कोलकाता में बीता और वहीं से उन्होंने पढ़ाई की। इस दौरान उनकी दोस्ती नकसली से हुई।
नकसली से दोस्ती की वजह से मुनव्वर के पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया। इस वजह से वो 2 साल तक अपने रिश्तेदारों के यहां रहे। इसके बाद उनकी मुलाकात गुरू अब्बास अली खान से हुई।
फिर अब्बास की वजह से उन्होंने शायरी की दुनिया में कदम रखा और यहीं से हुई उनकी शायरी की दुनिया में एंट्री हुई। उनकी शायरी कभी भी पढ़ने-समझने में मुश्किल नहीं रही।
इसके बाद मुनव्वर अपनी पत्नी और 5 बच्चों के साथ लखनऊ में रहने लगे। राना को उनकी कुशल प्रतिभा की वजह से कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
मुनव्वर कई मौको पर सुर्खियों में रहे। 2014 में सपा सरकार ने उनको उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का अध्यक्ष बनाया। उन्होंने अकादमी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद साल 2015 में यूपी स्थित नोएडा के दादरी में अखलाक की मॉब लिंचिंग में हत्या के बाद उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था।
वहीं मुनव्वर किसान आनदोलन के दौरान अपने बयानों की वजह से भी चर्चा में रहे थे। राम मंदिर पर फैसला आने के बाद उन्होंने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर भी सवाल उठाया था।