पंकज उधास की ग़ज़लें आज भी उतनी ही पसंद की जाती हैं, जैसे ही उनकी आवाज़ कानों में पड़ती है, लोगों को ग़जलों का सुनहरा युग याद आ जाता है।
एल्बम नायाब वॉल्यूम 1 की ग़ज़ल "निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है, और उसपे ये शबाब ज़माना ख़राब है"। आज भी फैंस के चार्टबस्टर में शामिल होती है। इसे मुमताज रशीद ने लिखा था।
पंकज उधास जब भी लाइव कंसर्ट करते थे तो "चांदी जैसा रंग है तेरा...की डिमांड जरुर होती है। इसे कतील शिफाई ने लिखा है। इसके कुछ शेर मुमताज रशीद ने लिखे थे।
कतील शिफाई की एक और नज़्म "मोहे आई न जग से लाज.. घुंघरू टूट गये" को यूं तो कई सिंगर ने अपना आवाज़ दी है, लेकिन पंकज उधास की गाई ये ग़ज़ल सबसे ज्यादा पसंदीदा है।
1984 में रिलीज एल्बम तरन्नुम, नूह नारवी की लिखी नज़्म "आप जिनके करीब होते हैं, वो बड़े खुशनसीब होते हैं"। पंकज उधास की आवाज़ में बेहद पसंदीदा ग़जल है।
साजन फिल्म की फैमस ग़ज़ल जियें तो जियें कैसे में पंकज उधास पर ही फिल्माई गई थी। समीर ने इसे लिखा था, संगीत नदीम - श्रवण का था।
संजय दत्त की करियर का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट नाम फिल्म की ग़ज़ल चिठ्ठी आई है... थी । पंकज उधास की गाई और फिल्माई इस ग़ज़ल ने संजय दत्त के फेवर में ज़बरदस्त माहौल बना दिया था।