लोकसभा चुनाव के इतिहास में एक वक्त ऐसा आया, जब दो सुपरस्टार एक-दूसरे के सामने थे। खास बात यह है कि इस चुनाव के पहले तक वे अच्छे दोस्त भी थे। लेकिन इसके बाद उनके बीच मनमुटाव हो गया।
एक-दूसरे के सामने आने वाले ये दो सुपरस्टार राजेश खन्ना-शत्रुघ्न सिन्हा हैं। राजेश अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन शत्रुघ्न अब भी राजनीति में एक्टिव हैं और TMC के नेता बन चुके हैं।
राजेश खन्ना 1984 में राजनीति में आए। 1991 में कांग्रेस के टिकट पर नई दिल्ली से आम चुनाव लड़े। वे भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी से 1589 वोट से हार गए थे।
1992 में लाल कृष्ण आडवाणी ने इस्तीफ़ा दिया और नई दिल्ली सीट से उपचुनाव हुए। इस बार खन्ना के अपोजिट BJP से शत्रुघ्न सिन्हा खड़े हुए थे। इस चुनाव में राजेश खन्ना 25000 वोट से जीते थे।
राजेश खन्ना 1996 तक सांसद रहे और फिर सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा। 2012 के पंजाब चुनाव तक वे कांग्रेस के लिए प्रचार करते रहे थे।
1992 में राजेश खन्ना चुनाव जीते, लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा से नाराज हो गए। सिन्हा ने एक बातचीत में बताया था कि जब वे उनके खिलाफ चुनाव में उतरे तो उन्हें यह बात बेहद बुरी लगी थी।
शत्रु के मुताबिक़, वे राजेश खन्ना के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। लेकिन वे लाल कृष्ण आडवाणी की बात नहीं टाल सके। उन्होंने खन्ना को भी यह बात समझाने की कोशिश की थी।
शत्रु ने यह भी बताया था कि कभी उनके खास दोस्त रहे राजेश खन्ना ने 1992 क्वे उपचुनाव के बाद सालों तक उनसे बात नहीं की थी। बाद में बात तो शुरू हुई, लेकिन उनका रिश्ता सामान्य नहीं हुआ।
शत्रुघ्न सिन्हा के मुताबिक़, जब राजेश खन्ना अस्पताल में भर्ती थे तो वे वहां जाकर उनसे माफ़ी मांगना चाहते थे। लेकिन इसके पहले ही उनके निधन की दुखद खबर सामने आई।
शत्रु के मुताबिक़, 1992 में वे पहली बार चुनाव लड़े। लेकिन उन्होंने वह चुनाव नहीं हारा, अपना दोस्त भी हारा था। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वे कभी दोस्तों के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे।