साइकोलॉजिस्ट की मानें तो इंटोवर्ट लोग अचानक आए गेस्ट से भी खुश नहीं होते हैं। वो अकेले समय को महत्व देते हैं, उस वक्त रिचार्ज होते हैं और चिंतन करते हैं। अचानक गेस्ट बाधा बनते हैं।
इंटोवर्ट लोगों को छोटी-छोटी बातें एनर्जी की बर्बादी लगती है। यह उन्हें थका देती है। वे बातों में सार और गहराई चाहते हैं, छोटी-छोटी बातचीत में नहीं मिलती है।
क्या आपने कभी 'सबकी नज़रें मुझ पर हैं' मुहावरा सुना है? इंट्रोवर्ट लोगों के लिए, यह सपने से ज़्यादा दुःस्वप्न जैसा है। वो शो स्टार बनने की जगह वो भीड़ में घुलना मिलना चाहते हैं।
इंट्रोवर्ट आमने-सामने की बातचीत करना पसंद करते हैं। वो बोलने से विचारों को समझने के लिए वक्त लेते हैं। लेकिन नेटवर्किंग इवेंट में उनपर तेज़-तर्रार बातचीत का दबाव होता है।
लाउड म्यूजिक, तेज रोशनी, नाचते-गाते लोगों के बीच भी इंट्रोवर्ट लोग परेशान हो जाते हैं। यह चिंता, चिड़चिड़ापन और थकावट की भावनाओं को जन्म दे सकता है।
मनोवैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि इंट्रोवर्ट लोग शांत, एकांत वातावरण में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हैं। उन्हें खुला ऑफिस नहीं पसंद होता है। वो कलिग के बीच असहज पाते हैं।
इंट्रोवर्ट लोग ज्यादा सोचने और चिंतन करने के लिए ज्यादा एक्टिवट होते हैं। इसलिए रिचार्ज करने के लिए शांत समय की जरूरत होती है।लेकिन दिमाग को व्यस्त रखने के लिए एक्टिविटी चाहते हैं।