Hindi

भारत की 8 यूनिक कढ़ाई, जो एथनिक ड्रेस की बढ़ा देती है खूबसूरती

Hindi

फुलकारी

पंजाब में 15वीं सदी में फुलकारी कढ़ाई शुरू हुई थी। इस कढ़ाई में लाल, पीले, नीले और हरे रंग का ज्यादा इस्तेमाल होता है। ज्यामितीय आकार के डिजाइन इसमें बनाए जाते हैं।

Image credits: social media
Hindi

काशिदा

काशिदा कश्मीर की एक कढ़ाई शैली है जिसे सुई के सहारे बनाया जाता है। रेशम के धागों से प्लांट और जीव समेत इस कढ़ाई में नेचर से जुड़े डिजाइन बनाएं जाते हैं। 

Image credits: Instagram
Hindi

कसुती

कसुती कढ़ाई कर्नाटक से जुड़ी है। कपास के धागों को हाथ यानी सुई की मदद से बनाया जाता है। कासुती कढ़ाई में चार प्रकार के टांके (मेंथी, गवंती, नेगी और मुर्गी) शामिल होते हैं।

Image credits: social media
Hindi

चिकनकरी

चिकनकारी कढ़ाई यूपी से जुड़ा है। चिकनकारी में सफेद धागे से डिजाइन बनाया जाता है। कढ़ाई के लिए डिजाइन फ्लावर, प्लांट और मोरे, तोते जैसे जीव से लिया जाता है।

Image credits: Instagram
Hindi

जरदोजी

ऋग्वेद के समय से भारत में जरदोजी कढ़ाई का अस्तित्व रहा है।इस कढ़ाई में सोने और चांदी के धागों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें मोती और सीक्वेंस वर्क भी किए जाते हैं।

Image credits: Instagram
Hindi

कांथा

कांथा डिजाइन बंगाल से संबंधित है। कांथा का मतलब लता होता है। इसके डिजाइन काफी सिंपल होते हैं। पुराने साड़ी से निकाले गए धागों से इस कढ़ाई को किया जाता है।

Image credits: Instagram
Hindi

पारसी गारा

पारसी गारा कढ़ाई की उत्पत्ति फारस में हुई। इसे पारसी समुदाय द्वारा भारत में लगाया गया। इस कढ़ाई को सुई और धागों से बहुत महीन काम किया जाता है। 

Image credits: social media
Hindi

टोडा कढ़ाई

तमिलनाडु में टोडा कढ़ाई जुड़ा हुआ है।टोडा कढ़ाई पारंपरिक रूप से सफेद या क्रीम रंग के मोटे मैटी कपड़े पर की जाती है।कढ़ाई लाल और काले ऊनी धागों के साथ सफेद सूती कपड़े पर की जाती है।

Image credits: Instagram

कम खर्चे में घूमें विदेश, नए साल में घूमने के लिए 7 सबसे सस्ते देश

दुनिया का फेमस Kissable Plant, स्किन ट्रीटमेंट में आता है काम

6 कारण- क्यों नहीं हो रहा Weight loss, 5th गलती तो आपने जरूर की होगी

भाई जान की निकाह में लगेंगी चांद, जब पहनेंगी ये 10 खूबसूरत सूट