पति-पत्नी का रिश्ता सुख और दुख का होता है। लेकिन अक्सर पति अपने जीवनसाथी को दुख के सिवा कुछ नहीं देते हैं। ऐसे स्थिति में अलग हो जाना बेहतर है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे पति का त्याग कर देना चाहिए जिसके व्यवहार में क्रोध शामिल हो और वो चीखता-चिल्लाता हो। जो परिवार और बच्चों के पालन-पोषण की चिंता नहीं करता है।
बार-बार मना करने पर भी अगर पति नशा और जुआ खेलना नहीं छोड़ रहा। तो उसे तुरंत छोड़ देना चाहिए। क्योंकि वो एक वक्त घर और आपको भी दांव पर लगा सकता है।
अगर आपका पति किसी के साथ अफेयर कर रहा है। उसके साथ हमबिस्तर हो रहा हो। ऐसी स्थिति में भी पत्नी को पति का त्याग कर देना चाहिए। वो विश्वास के काबिल नहीं हो सकता है।
अगर आपका पति क्रोध में आप पर हाथ उठाता है। जब तब आपको अपने गुस्से का शिकार बनाता हो। बिस्तर पर करता हो जबरदस्ती। तो सहने की बजाय उसे सजा दिलाएं।