पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जन्म छतरपुर जिला के गढ़ा गांव में हुआ था। फैमिली आर्थिक रूप से कमजोर थी। कच्चा मकान होने की वजह से बरसात में घर के अंदर पानी टपकता था।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री जब छोटे थे तब घर में खाने-पीने का काफी अभाव था। कई बार उन्हें भूखे पेट रहना पड़ता था। लेकिन अब भक्तों की दान की वजह से उनका भंडारा हमेशा भरा रहता है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री को 9 साल की उम्र से आध्यात्म से लगाव हो गया था। उन्होंने अपने दादा जी से रामकथा कहना सीखा।पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने बीए की डिग्री हासिल किया है।
छोटी उम्र से वो कथावचान करने लगे थे। बालाजी की उनपर बड़ी कृपा रही है ऐसा कहा जाता है। जिसकी वजह से उनके प्रवचन सुनने के लिए देश भर के लोग पहुंचते हैं।
कभी कच्चे मकान में रहने वाले धीरेंद्र शास्त्री अब चार्टर प्लेन से सफर करते हैं। कहा जाता है कि उनके पास खुद का चार्टर प्लेन है। हालांकि इस दावे की पुष्टि अभी नहीं हुई है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कमाई का कोई रिकॉर्ड नहीं हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास अपना कुछ नहीं है। उनकी संस्था उनके भक्तों के दान दक्षिणा से चलती है।
कहा जाता है कि धीरेंद्र शास्त्री के पास टोयोटा फॉर्च्यूनर, इनोवा क्रिस्टा और टाटा सफारी कार कलेक्शन है। हालांकि इसकी भी पुष्टि नहीं हुई है।
अहले सुबह उठकर धीरेंद्र शास्त्री ईश्वर की आराधना करते हैं। इसके बाद शारीरिक वर्जिश करते हैं। 26 की उम्र में उनके चेहरे पर एक अलग तेज चमकती नजर आती है।
धीरेंद्र शास्त्री सिंपल भोजन करते हैं। प्याज-लहसुन को वो हाथ नहीं लगाते हैं। चावल-दाल सब्जियां उनका मुख्य भोजन हैं। वो फलों का भी खूब सेवन करते हैं।