किसी भी श्रृंगार को आंरभ करने से पहले स्नान करना बेहद जरुरी है। इसमें बेसन- हल्दी का उबटन भी लगाया जा सकता है। वहीं पानी में गुलाबजल मिलाने आप हमेशा महकती रहेंगी।
शादीशुदा महिलाएं स्नान के बाद बालों को संवारती हैं। इसमें आप वेणी, गजरा लगाएं। मोंगरा की खुश्बू आपके तनमन को पवित्र रखेगी
महिलाओं के श्रृंगार में सिंदूर- बिंदी- काजल को भी काउंट किया जाता है। ये सोलह श्रृंगार का अभिन्न अंग हैं।
करवा चौथ की एक रात पहले ही हाथों- पैरों में मेंहदी लगाई जाती है। जिसकी जितनी डार्क मेंहदी रचती है, उसे पिया की प्यारी माना जाता है।
हाथों में भरी- भरी चूड़ियां जब खनकती हैं तो घर में नई दुल्हन के होने का अहसास होता है । चूड़ियां सोलह श्रृंगार का सबसे अहम हिस्सा मानी जाती है।
कानों में बड़े- बड़े झुमके और माथे पर बड़ा सा मांगटीका, महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। नथ, नोज रिंग भी हर दिन पहने जाने वाला आभूषण है।
बाजू में पहने जाने वाला कड़ा और कमर में पहने जाने वाली तगड़ी ( कमरबंद) महिलाओं के श्रृंगार का प्रमुख आभूषण होता है।
पैरों में पहने जानी वाली पायल और बिछिया विवाहित महिलाओं का प्रमुख आभूषण होता है । बिछिया को सूर्य और शनि का दोष दूर करने वाला माना जाता है।
महिलाएं अक्सर हाथों की अंगुलियों में कई रिंग पहनती हैं। ये भी करावा चौथ के श्रृंगार में शामिल किए जाने वाली ज्वेलरी है।