आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कोई भी काम शुरू करने से पहले एक बार रुककर सोचिए कि मैं ये काम क्यों कर रहा हूं? इसका नतीजा क्या होगा? क्या मैं इसमें सफल हो पाऊंगा?
जब हम इन सवालों के जवाब खुद से पूछते हैं, तो रास्ता और मंजिल दोनों साफ दिखने लगते हैं। सोच-समझकर शुरू किया गया काम न केवल सफलता दिलाता है बल्कि समय की बर्बादी से भी बचाता है।
हर दिन हमारे सामने बहुत सारे काम होते हैं, लेकिन जरूरी है यह समझना कि कौन-सा काम पहले करना चाहिए और कौन-सा बाद में। बिना सोच-विचार के हर काम में लग जाना समझदारी नहीं होती।
समय का सही तरीके से इस्तेमाल करना सीख लें, तो कामयाबी दूर नहीं रहती। चाणक्य का मानना है कि जो समय को समझ गया, वो जिंदगी को समझ गया। हर पल की कीमत को पहचानिए और उसका सदुपयोग कीजिए।
हर काम अकेले करना न ही जरूरी है और न ही सही। समझदारी इसी में है कि जिम्मेदारियां बांटी जाएं। और यही आपकी सफलता की कुंजी बनता है।
दुनिया लगातार बदल रही है, और अगर हम बदलाव से डरेंगे, तो पीछे रह जाएंगे। समय के साथ खुद को बदलना सीखें। इससे जिंदगी में नए अवसर खुद-ब-खुद सामने आने लगते हैं।
काम करते समय सिर्फ काम पूरा करना नहीं, बल्कि उसे अच्छी गुणवत्ता के साथ करना चाहिए। बेहतर क्वालिटी वाला काम ही आपको भीड़ से अलग करता है। इसलिए काम को पूरे मन और मेहनत से कीजिए।
शिक्षा सबसे बड़ा धन है। जब हम कुछ नया सीखते हैं, तो न सिर्फ ज्ञान बढ़ता है, बल्कि लोगों के बीच सम्मान भी मिलता है। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश ही आपको आगे बढ़ाती है।
अपनी निजी बातें किसी से शेयर न करें। चाणक्य का यह सबसे बड़ा गुरु मंत्र है। जब हम अपने राज दूसरों को बताते हैं, तो लोग उसका फायदा उठा सकते हैं। इसलिए कुछ बातें अपने तक सीमित रखें।