हम सभी जानते हैं कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी कमजोर होती चली जाती है। इसीलिए 38 के बाद महिलाओं को कई तरह के जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
इस उम्र में अधिकतर महिलाएं आईवीएफ के जरिए गर्भधारण करती हैं। साथ ही हार्मोनल बदलावों के कारण उम्र बढ़ने पर जुड़वा बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रेग्नेंसी में होने वाले मधुमेह को जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। ऐसे में ब्लड शुगर कंट्रोल करना और व्यायाम करना जरूरी है। अगर इसका इलाज न किया तो ये शिशु को नुकसान पहुंचाता है।
35 के बाद मां बनती हैं तो आपकी प्रीमैच्योर या सिजेरियन डिलीवरी होने का अधिक खतरा रहता है। इसमें प्लेसेंटा प्रीविआ जैसी स्थितियों के कारण सी-सेक्शन करवाना पड़ता है।
जैसे-जैसे आपकी आयु जनसंख्या है, आपकी सृजन क्षमता कम होती जा रही है। इस कारण से बड़ी उम्र में गर्भपात या मृत शिशु के जन्म पर गर्भ धारण का खतरा रहता है।
बड़ी उम्र की महिलाओं में प्रेसीडेंटेंसी के दौरान हाई मोटरसाइकिललाड का दाखिला हो सकता है। गर्भाधान के दौरान महिलाओं को नियमित जांच के दौरान शिशु के विकास की जानकारी लेनी चाहिए।