बात जब साड़ी की आती है तो देश में साड़ी के कई पैर्टन,डिजाइन और कला मिल जाएगी। हर राज्य की अपनी एक अलग साड़ी है जो लोगों को खूब पसंद आती हैं।
भारत में साड़ी हमेशा से महिलाओं की अलमारी का अहम हिस्सा रही है। इन्हीं में से एक है हैंडलूम साड़ियां जिनकी मांग दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
हैंडलूम साड़ियां काफी महंगी होती है। यहां तक इनकी कीमत लाखों तक जाती हैं। ऐसे में आपको भी कोई हैंडलूम बताकर चूना न लगा दें। इसलिए साड़ी की सही पहचान करना जरूरी है।
हैंडलूम साड़ी अलग-अलग पैर्टन,डिजाइन और फैब्रिक में मिल जाएगी। कई बार लोग हैंडलूम साड़ी की पहचान में गलती कर देते हैं। जिससे ठगी का शिकार हो जाते हैं।
हैंडलूम साड़ी में लूम को स्टिच करने के लिए छोटे-छोटे पिन्स लटकाएं जाते हैं। जो मुख्यता बॉर्डर पर होते हैं। वहीं मशीन से बनी साड़ी में ये नहीं होते। आप इससे असली-नकली की पहचान करें।
मशीन सी बनी साड़ियां भले साफ्ट हो लेकिन पल्लू लेते सरक जाती हैं। जबकि हैंडलूम साड़ी सॉफ्ट होने के बाद कंफर्टेबल होती है ड्रेप करते वक्त जस की तस रहती है।
हैंडलूम साड़ियां हैंडमेड होती हैं। जिसमें धागों का इस्तेमाल किया जाता है। ये पल्लू या प्लेटों में होते हैं। आप इस ट्रिक की मदद से भी असली फैब्रिक की पहचान कर सकती हैं।
हैंडलूम साड़ियों में सरकारी छाप लगी होती है, जो ऑथेंटिक होने का प्रमाण देती हैं मशीन से बनी साड़ियों की अपना अलग लेबल-स्टीकर होता है। इससे भी असली-नकली की पहचान की जा सकती हैं।