जरा सोचिए, एक ऐसी जगह पर जाने का मौका, जहां इतिहास और शाही ठाट-बाट एकसाथ मिलते हों। यही अनुभव आपको मिलता है जब आप ईशा अंबानी के ससुरालवालों, पिरामल परिवार की पैतृक हवेली जाते हैं।
राजस्थान के झुंझुनू जिले के बगर नामक छोटे से कस्बे में स्थित ये हवेली सिर्फ एक महल नहीं, बल्कि भारत के शुरुआती 20वीं सदी के औद्योगिक विकास की निशानी है।
इस संपत्ति की जड़ें उस दौर से जुड़ी हैं, जब सेठ पिरामल चतुर्भुज माखरिया ने इसे खड़ा किया था और पिरामल साम्राज्य की नींव रखी थी।
सेठ पिरामल ने पिरामल साम्राज्य की शुरुआत की, बगर से मुंबई पहुंचे थे और उनकी जेब में सिर्फ 50 रुपये थे। उन्होंने कपड़ा व्यवसाय की शुरुआत की, जिसने पूरे पिरामल साम्राज्य खड़ा किया।
आज इस पिरामल हवेली को हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है, इसके पीछे नीमराना होटल्स का हाथ है, जो भारत की भव्य धरोहरों को संजोकर उन्हें खूबसूरत होटलों में बदलने के लिए जाने जाते हैं।
पिरामल हवेली की दीवारों पर हाथ से बनी रंगीन चित्रकला, जहां फरिश्ते, हवाई जहाज और कार में सफर करते देवता दिखते हैं। उस दौर की कहानी कहते हैं, जब भारत आधुनिकता की ओर बढ़ा रहा था।
अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसी शाही जगह में रुकना आपकी पहुंच से बाहर है, तो फिर से सोचिए। पिरामल हवेली में आप सिर्फ 5,625 रुपये (कर सहित) में हेरिटेज कम्फर्ट ट्विन रूम बुक कर सकते हैं।
ऐसी जगह में रुकने का आकर्षण, बिना किसी बड़ी हस्ती या बिजनेस टाइकून के टैग के, वाकई लुभावना है।
ईशा अंबानी और आनंद पिरामल की राजस्थान की ये पैतृक हवेली एक अलग ही तरह की समृद्धि लाती है, जो इतिहास, कला और परिवार की गहरी जड़ों में बसी है।