जामदानी नाम फारसी 'जाम' से लिया गया है जिसका अर्थ है फूल और दानी जिसका अर्थ है फूलदान। यह नाजुक पैटर्न को दिखाता है। जो इस साड़ी की खासियत है।
माना जाता है कि जामदानी की उत्पत्ति वर्तमान बांग्लादेश के ढाका क्षेत्र में हुई थी। आज भी यहां पर कई ऐसे गांव है जहां पर खूबसूरत जामदानी साड़ी को बनाया जाता है।
जामदानी साड़ियों की बुनाई की कला का पता प्राचीन काल से लगाया जा सकता है। संस्कृत और ग्रीक साहित्य में इसके समान कपड़े का जिक्र है। इसे काफी सम्मान और महत्व दिया जाता है।
जामदानी साड़ी की बुनाई मुगल काल (17वीं से 18वीं शताब्दी) के दौरान चरम पर थी। सम्राट अकबर जामदानी साड़ियों के बड़े प्रशंसक थे। उन्होंने बुनकर को विशेष संरक्षण दिया था।
अकबर काल में जामदानी की बुनाई में निखार आई। अलग-अलग कठिन डिजाइन इसपर बनाए गये जो देखने में काफी खूबसूरत थे।
जामदानी साड़ियों की बुनाई विशेषता है। पारंपरिक पिट करघे पर हाथ से इसकी बुनाई होती है।छोटे-छोटे पैटर्न को महीन सूती धागे से कपड़े में हाथ से बुना जाता है।
वर्तमान में जामदानी साड़ियों को आधुनिक रूप दिया गया है। लेकिन अभी भी इसपर ट्रेडिशनल डिजाइन मसलन फूल, पत्तियों और पक्षी को जरूर शामिल किया जाता है।
2013 में जामदानी बुनाई को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी गई थी। इस मान्यता ने कला और इसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद की है।
जामदानी साड़ी की दीवानी है बॉलीवुड की कई एक्ट्रेस। विद्या बालन से लेकर कई एक्ट्रेस जामदानी साड़ी में अपनी खूबसूरती को फ्लॉन्ट करती दिख सकती हैं।