भारतीय महिलाओं के वॉर्डरोब में सिल्क साड़ी किसी गहने से कम नहीं होती। महंगी कीमत में मिलने वाली सिल्क की पहचान करने में कई बार धोखा हो जाता है। जानिए असली सिल्क की पहचान कैसे करें।
रियल सिल्क को रेशम कीट से प्राप्त किया जाता है। आजकल पॉलिस्टर और सिंथेटिक से नकली रेशम बनाया जा रहा है। असली रेशम बहुत मुलायम होता है जिसे छूने पर बेहद सॉफ्ट फील होता है।
सिल्क साड़ियों में लगभग 23 प्रकार की साड़ियां जैसे कि बनारसी सिल्क, कांजीवरम, चंदेरी सिल्क, आर्ट सिल्क, टसर सिल्क आदि साड़ियां पहनी जाती हैं।
बनारसी सिल्क साड़ियों के पल्लू में एक हाथ की कढ़ाई की जाती है जो बेहद सुंदर होती है। साथ ही जरोक्का पैटर्न यानी बूटे व अन्य डिजाइन पहचान में मदद करते हैं
कांजीवरम साड़ी में अलग-अलग धागों का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए कुछ दूरी पर धागों की बुनाई के कोण बदल जाते हैं। इस कारण से साड़ी का रंग बदलता दिखता है।
कांजीवरम सिल्क साड़ी में हैवी जरी वर्क होता है। अगर आप हल्का सा जरी वर्क पर नाखून चलाएंगी तो आपको रेड सिल्क थ्रेड दिखेंगे। इस बात से पता चलता है कि साड़ी असली कांजीवरम है।
सिल्क की साड़ियों में एक अलग चमक होती है। बनारसी साड़ी में मुगल पैटर्न के शानदार प्रिंट देखने को मिलेंगे। पल्लू में बनें ट्रेडीशन डिजाइन भी बनारसी सिल्क की पहचान में मदद करते हैं।
सिल्क साड़ियों की खास पहचान होती है कि इनको अंगूठी के छल्ले से भी आसानी से निकाला जा सकता है। बनारसी सिल्क की कीमत 20,000 तक होती है। ये अधिक भी हो सकती है।