कांजीवरम साड़ी मूल रूप से साउथ इंडिया की ट्रेडिशनल साड़ी है। यह एक तरह की सिल्क साड़ी होती है, जिस पर खूबसूरत गोल्डन धागे से वर्क किया होता है।
पैठणी साड़ी महाराष्ट्र के पैठण शहर में बनाई जाती है और इस साड़ी को बनाने के लिए कंट्रास्ट कलर का इस्तेमाल किया जाता है। पूजा पाठ के दौरान ये साड़ी बहुत खूबसूरत लगती है।
इंडियन ट्रेडिशन में बनारसी साड़ी का इतिहास बहुत पुराना है, जो उत्तर प्रदेश के शहर वाराणसी में मूल रूप से बनाई जाती है। इसमें सिल्क और ब्रोकेड फैब्रिक का इस्तेमाल होता है।
बांधनी साड़ी गुजरात और राजस्थान में खासतौर पर बनाई जाती है। इसमें प्रिंट्स सबसे ज्यादा खास होते हैं, जिसे कॉटन से लेकर सिल्क, जॉर्जेट या शिफॉन पर भी प्रिंट किया जाता है।
मध्य प्रदेश के चंदेरी शहर में बनने वाली यह खूबसूरत चंदेरी साड़ी में शीयर टेक्सचर होता है और सटल डिजाइन का इस्तेमाल होता है। यह साड़ी बॉलीवुड सेलिब्रिटीज को भी खूब पसंद आती है।
मुगा सिल्क साड़ी आमतौर पर असम में बनाई जाती है। इन साड़ियों में शाइनिंग टेक्सचर के साथ ही सफेद और लाल रंगों का आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
बोमकाई साड़ी उड़ीसा की प्रसिद्ध साड़ी है। इसे उड़ीसा के ही बोमकाई गांव में तैयार किया जाता है और इस साड़ी को सोनपुरी साड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
पटोला साड़ी गुजरात के पाटण में बनाई जाती है। यह हथकरघे से बनी एक खूबसूरत साड़ी है, जिसमें रेशम के धागों का इस्तेमाल किया जाता है।
लहरिया साड़ी बहुत खूबसूरत लगती है। यह मूल रूप से राजस्थान में बनाई जाती है। इसे बनाने की शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई थी जब राजघराने की महिलाओं के लिए इसे तैयार किया गया था।