Other Lifestyle

Makar Sankranti-Pongal पर जानें कांजीवरम व बनारसी सिल्क साड़ी में अंतर

Image credits: instagram

दुनियाभर में साड़ियों का क्रेज

साड़ियों के प्रति महिलाओं का प्यार और क्रेज किसी से छिपा नहीं है। लोगों को लगता है कि कांजीवरम और बनारसी साड़ी एक जैसी ही होती है, जबकि ऐसा नहीं है। 

Image credits: instagram

कांजीवरम और बनारसी में अंतर

हाथ से बनाई जाने के कारण इनका दाम काफी ज्यादा होता है। इनमें अंतर बता पाना बेहद मुश्किल होता है। जानें कांजीवरम और बनारसी सिल्क की साड़ी में अंतर।

Image credits: instagram

बनारसी साड़ी का इतिहास

अगर इतिहास की बात करें तो बनारसी साड़ी का इतिहास तकरीबन 2000 साल पुराना बताया जाता है। देश के कई हिस्सों में नई दुल्हनों को बनारसी साड़ी ही पहनने को दी जाती है।

Image credits: instagram

कांजीवरम साड़ियों का इतिहास

कांजीवरम की शुरूआत तमिलनाडु के शहर कांचीपुरम से हुई। कांजीवरम साड़ी 400 वर्षों से भी पहले से बुनकरों द्वारा बुनी जा रही है। ये कृष्ण देवराय के शासनकाल के दौरान लोकप्रियता हासिल की।

Image credits: instagram

ऐसे होता है निर्माण

14वीं शताब्दी के आस-पास सोने और चांदी के धागे का उपयोग करके इन साड़ियों को बनाया जाता था। अकबर के समय में बनारसी साड़ियों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई। 

Image credits: shobitam

शहतूत के रेमश से निर्माण

कांजीवरम साड़ियों को शहतूत के रेशम से बनाया जाता है, जिस वजह से इनका वजन बेहद कम होता है। असली रेशम के धागे की बनावट दानेदार होती है। कई बार धोने के बाद भी इसकी चमक कम नहीं होती।

Image credits: Karagiri

कैसे करें पहचान

बनारसी साड़ी की परख करना चाहते हैं तो इसकी कढ़ाई पर ध्यान दें। जरी वर्क की वजह से बनारसी साड़ी का वजन ज्यादा होता है। पल्लू में 6-8 इंच के प्लेन सिल्क फैब्रिक इस्तेमाल होता है।

Image credits: Getty

ऐसे करें पहचान

सबसे पहले उसके किनारे की साइड से खुरच कर देखे, अगर उसके नीचे आपको लाल सिल्क लगा हुआ दिखता है तो साड़ी असली है। ये ही इसकी पहचान करन का सबसे सही तरीका है।

Image credits: Karagiri