आरटीई एक्ट, 2009 के तहत, 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। बेटियों को स्कूल भेजना हर माता-पिता की जिम्मेदारी है।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, बेटियों को अपने माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलता है।
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र में लड़की की शादी करना गैरकानूनी है। यह कानून बेटियों को उनके अधिकारों से वंचित होने से बचाता है।
संविधान का अनुच्छेद 15(3) और अनुच्छेद 39(a) बेटियों को लैंगिक समानता प्रदान करता है और उन्हें किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचाता है।
पीसीपीएनडीटी एक्ट, 1994 के तहत गर्भ में लड़की के लिंग की पहचान करना और कन्या भ्रूण हत्या करना अपराध है।
पोक्सो एक्ट, 2012 बच्चों को यौन शोषण और उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया है। यह बेटियों को विशेष सुरक्षा प्रदान करता है।
यदि परिवार का कोई सदस्य बच्चे के साथ हिंसक व्यवहार करता है, तो बच्चे या माता-पिता इसकी शिकायत Domestic Violence Act, 2005 के तहत कर सकते हैं।
बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम, 1986 के अनुसार, बेटियों को 14 वर्ष से कम उम्र में काम पर लगाने की मनाही है।
कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत, आर्थिक रूप से कमजोर और पीड़ित बेटियों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत, बेटियों को स्वास्थ्य सेवाओं और टीकाकरण का अधिकार दिया गया है।