20 जुलाई 1969 में अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन ने पहली बार चंद्रमा पर कदम रख के इतिहास बना दिया था। आज भी पूरी दुनिया उस दिन को याद करके जश्न मनाती है।
नासा ने चांद के बारे में जानने के लिए अपोलो 11 मिशन लॉन्च किया था। चंद्रमा की सतह पर कदम रखने के बाद नील आर्मस्ट्रांग एक बड़ी बात कही थी।
नील आर्मस्ट्रांग ने कहा था कि 'यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है।'
नील एल्डन आर्मस्ट्रांग एक अमेरिकी खगोलयात्री और चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति थे। इसके अलावा वे एक एयरोस्पेस इंजीनियर, नौसेना अधिकारी, ट्रेंड पायलट और प्रोफ़ेसर भी थे।
चांद पर उतरने के बाद नील आर्मस्ट्रांग ने भारत के पंजाब में स्थित प्राचीन शहर रूपनगर का दौरा करने का फैसला किया।
आर्मस्ट्रांग अपने पूर्व सहयोगी और मित्र डॉ. होमी जे. भाभा का जन्मस्थान देखना था। चैटजीपीटी से मिली जानकारी के अनुसार उनका ये फैसला वैज्ञानिक दोस्तों के प्रति सम्मान प्रकट करना था।
नील आर्मस्ट्रांग का भारत आने का फैसला डॉ. होमी जे. भाभा के काम के प्रति उनकी सराहना को भी दर्शाता है, जो भारत के वैज्ञानिक समुदाय में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे।
डॉ. भाभा एक प्रमुख भारतीय परमाणु भौतिक विज्ञानी और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के संस्थापक निदेशक थे।