राजकुमारी सीता देवी का जीवन भारतीय रॉयल्टी, शिक्षा और फैशन का ऐसा मेल था, जिसने न केवल भारत को गौरवान्वित किया बल्कि यूरोप की फैशन दुनिया को भी प्रेरित किया।
प्रिंसेस सीता देवी ने भारतीय परंपराओं को ग्लोबल मंच पर पहचान दिलाई और साबित किया कि भारतीय परिधान भी अंतरराष्ट्रीय फैशन का हिस्सा बन सकते हैं।
राजकुमारी सीता देवी, को "प्रिंसेस करम" और "पर्ल ऑफ इंडिया" के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 1915 में उत्तराखंड के काशीपुर में हुआ।
मात्र 13 वर्ष की उम्र में सीता देवी की शादी कपूरथला के प्रिंस करमजीत सिंह से हुई।
सीता देवी को 5 भाषाओं का ज्ञान था, जिनमें संस्कृत, फ्रेंच और अंग्रेजी शामिल थीं। उन्होंने गणित, इतिहास और भारतीय संस्कृति की पढ़ाई कर खुद को मल्टीटैलेंटेड पर्सनालिटी बनाया।
1934 में पहली बार पेरिस की यात्रा के दौरान सीता देवी ने अपने भारतीय परिधानों और साड़ी पहनने के अंदाज से सबको मोहित कर लिया। उनकी साड़ी पहनने की शैली पेरिस के वोग मैगजीन तक में छपी।
मशहूर डिजाइनर एल्सा शियापारेली ने उनकी साड़ियों से प्रेरणा लेकर 1935 में एक कलेक्शन लॉन्च किया। साड़ी-ड्रेस और इंडिया ट्राउजर्स जैसे आउटफिट्स उनके भारतीय परिधानों की झलक देते थे।
सीता देवी का फैशन प्रेम उनकी 1000 साड़ियों के कलेक्शन और कार्टियर-बुचरॉन के गहनों से झलकता था। हर साड़ी के लिए खासतौर पर अलग-अलग जूते और फर कोट चुने जाते थे।
चमकीले रंगों की जॉर्जेट और फ्रेंच शिफॉन साड़ियां सीता देवी की पसंदीदा थीं। "साड़ी एंड को" नाम की एक फैक्ट्री की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही, जो फ्रेंच साड़ियां बनाती थी।
राजकुमारी सीता देवी ने भारतीय परिधान और यूरोपीय फैशन के मिश्रण से नया ट्रेंड बनाया। उनकी साड़ी पहनने की अनोखी शैली ने पेरिस के हाई-सोसाइटी में भारतीय संस्कृति को सम्मान दिलाया।