क्या कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि आखिर पुरुषों और महिलाओं की जींस की पैंट की जेब में भारी फर्क क्यों होता है। हमेशा महिलाओं की पॉकेट छोटी क्यों होती है?
लड़कियों की जींस में जेब को लेकर काफी पुरानी लड़ाई रही है। फैक्ट यह भी है कि हमेशा पुरुष ही फैशन बिजनेस को नियंत्रित करते रहे हैं। इसलिए कभी महिलाओं पर ध्यान नहीं दिया गया।
जानकर हैरानी होगी कि कुछ लोगों ने पैंट में जेब को महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता से जोड़ा गया है। जिनके लिए महिलाओं ने पूरे इतिहास में संघर्ष किया है।
बिना जेब वाली पैंट का इतिहास 17वीं शताब्दी से चला आ रहा है। तब महिलाओं के कपड़ों की परतों में अलग से जेबों लटकी होती थीं और कमर बैग रहता था।
एक महिला को अपनी जेब में मौजूद वस्तुओं तक पहुंचने के लिए कपड़ों की कई परतों को उतारना पड़ता था। लेकिन फ्रांसीसी क्रांति के साथ सब कुछ बदल गया।
स्लिमर शेप और क्लोज-फिटिंग स्कर्ट फैशनेबल हो गए। अब थैलीदार जेब के लिए कोई जगह नहीं थी, महिलाएं अब कपड़ों के नीचे जेब नहीं पहन सकती थीं।
कुछ लोगों का का दावा है कि ऐसा महिलाओं की शक्तिहीनता को बनाए रखने के लिए किया गया। ताकि वो छिपकर सामान नहीं ढो सकें।
बैग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के कारण से भी महिलाओं के कपड़ों में अभी भी जेब की कमी है। महिलाओं की पोशाक में जेब नहीं होती है, इसलिए उन्हें अपना सामान बैग में ले जाना होता है।
वहीं नए डिजाइनर का कहना है कि महिलाओं की जींस बिल्कुल चिपकी हुई होती है। ऐसे में जेब लंबी अलग दिखेगी और उसमें चीजें रखने पर जांघों पर नजर आएंगी।
डिजाइनर का कहना है ज्यादातर महिलाओं की जीन्स फैब्रिक में लाइक्रा स्ट्रेच के साथ बनाई जाती हैं। इसमें अगर रियल जेबों का इस्तेमाल करेंगे तो फिर अंदर की तरफ सिलवटें पड़ जाएंगी।