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Ram Mandir जाते वक्त पहनें 7 पारंपरिक साड़ियां, रामलला की होगी कृपा!

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कलमकारी साड़ी

कलमकारी साड़ी, हस्तकला का टाइप है जिसमें हाथ से सूती कपड़े पर रंगीन ब्लॉक से छापई होती है। यह कला भारत की पारंपरिक कढ़ाई है। इसमें कपड़े को रातभर गाय के गोबर में डुबोकर रखते हैं।

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कांजीवरम साड़ी

कांजीवरम एक तरह की सिल्क साड़ी है यानी एक खास तरह के रेशम के धागों से बुनी साड़ी। इसे पूजा-पाठ या मंदिर जाते वक्त पहनना शुभ होता है, साथ ही ये भारतीय संस्कृति को दर्शाती है।

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कसावु साड़ी

केरल साड़ी, जिसे कसावु साड़ी भी कहा जाता है। ये विशेष पारंपरिक उत्सवों व शुभ कार्यों में पहनी जाने वाली साड़ी है। इसके बॉर्डर पर लगी जरी और रियल गोल्ड थ्रेड होता है। 

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बनारसी साड़ी

बनारसी साड़ी एक विशेष प्रकार की साड़ी है जिसे विवाह, पूजा पाठ व मंदिर जाने जैसे शुभ अवसरों पर खासतौर पर हिन्दू स्त्रियां धारण करती हैं। ये देखने में बहुत खूबसूरत लगती है।

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पोचमपल्ली साड़ी

पोचमपल्ली सिल्क की साड़ी है जो कि कंफर्ट और भव्यता का पर्याय है। यह अपनी चिकनी और साफ-सुथरी डिजाइनों से एकदम अलग दिखती है। इसमें बहुत ही पारंपरिक बुनाई की जाती है।

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उप्पाड़ा जामदानी साड़ी

इस सिल्क साड़ी को पहनने के बाद आपका लुक पूरी तरह से बदल जाएगा। उप्पाड़ा जामदानी साड़ी भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले के उप्पाड़ा में बुनी गई एक रेशम साड़ी शैली है।

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चेट्टीनाड कॉटन साड़ी

धारीदार चेट्टीनाड कॉटन साड़ी पारंपरिक रूप से पहनी जाने वाली ये सबसे पारंपरिक परिधान है। कॉटन की हाई क्लालिटी और सांस लेने की कंफर्ट क्षमता के कारण ये एक आदर्श साड़ी है।

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