यदि पैरेंट्स अपने बच्चों में अनुशासन की भावना नहीं भरते हैं। उन पर कोई नियम लागू नहीं करते हैं तो बच्चे लगातार अपनी बात मनवाने के लिए जिद्द करने लगता है।
बच्चों को हर समय उनकी इच्छाओं के अनुसार चीजें देना और उनकी मांगों को तुरंत पूरा करना उन्हें जिद्दी बना सकता है। इससे बच्चे यह सीखते हैं कि जिद्द करने से उनकी मांग तुरंत पूरी होगी।
अगर एक सही डेली रुटीन उनके लिए नहीं बनाई जाए तो वो अनुशासनहीन हो जाते हैं। उनके अंदर जिद्दी स्वभाव विकसित होने लगती है। वो नई बातों का विरोध करने लगते हैं।
बहुत अधिक सख्त या तानाशाही वाली परवरिश बच्चों को जिद्दी बना सकती है। ऐसे माहौल में पले-बढ़े बच्चे इस कठोरता का विरोध करने के लिए ज्यादा विद्रोही हो सकते हैं।
यदि बच्चों को फैसले लेने या विकल्प चुनने का मौका नहीं मिलता, तो वे अपनी बात मनवाने के लिए जिद्दी बन सकते हैं।
बच्चे अक्सर जिद्दी होकर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं, खासकर जब माता-पिता का ध्यान अनियमित होता है। ताकि उनकी बात सुनी जाए।
ओवरप्रोटेक्टिव पैरेंटिंग बच्चों की खोजने और अनुभव से सीखने की क्षमता को सीमित कर सकती है। जब बच्चों को अपनी चुनौतियों से निपटने का मौका नहीं दिया जाता।
यदि बच्चों के जिद्दी व्यवहार को अनजाने में बढ़ावा दिया जाए, तो यह आदत मजबूत हो जाती है। इसलिए उन्हें एक प्यार से भरपूर अनुशासन वाला माहौल देना चाहिए।